तबाही रोकने के लिए अब विमान की मदद से लिए जाएंगे बादलों के नमूने

कहां और क्यों फटते हैं बादल? मानवीय गतिविधि बादल फटने की घटनाओं को किस प्रकार प्रभावित कर रही है, इसकी जानकारी हासिल करने के लिए भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) हिमालय क्षेत्र में एयरक्राफ्ट (विमान) की मदद से बादलों के नमूने लेगा।तबाही रोकने के लिए अब विमान की मदद से लिए जाएंगे बादलों के नमूने

एयरक्राफ्ट से बादलों के नमूने लिए गए हैं
प्रयोगशाला में इन नमूनों के परीक्षण के बाद वैज्ञानिक बादल फटने की घटना की वजह की सटीक जानकारी जुटा पाएंगे। वैज्ञानिक यह अंदाजा लगा सकेंगे कि किन स्थानों में बादल फटने का ज्यादा खतरा है। पहाड़ में लगभग हर साल बादल फटने या अतिवृष्टि की घटनाएं होती हैं। इन घटनाओं में जान-माल का व्यापक नुकसान होता है। वर्तमान में देश-विदेश में बादल फटने की सटीक जानकारी के लिए शोध चल रहे हैं, ताकि समय से जानकारी मिलने पर जान माल के नुकसान को कम किया जा सके।

आईआईटीएम भी पिछले कुछ समय से एयरक्राफ्ट बादलों के नमूने लेकर उनका रासायनिक और भौतिक परीक्षण कर रहा है, ताकि उन कारकों का पता चल सके, जो बादल फटने और इसकी तीव्रता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।

आईआईटीएम दिल्ली के उप निदेशक डा. सुरेश तिवाड़ी ने बताया कि सोलापुर में एयरक्राफ्ट से बादलों के नमूने लिए गए। अब उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि श्रीनगर के भौतिकी विभाग के साथ मिलकर यह प्रयोग किया जाएगा।

इसके लिए संस्थान में विशेष एयरक्राफ्ट उपलब्ध है, जिसमें उपकरण लगे हुए हैं। अलग-अलग वक्त पर बादलों के नमूने लिए जाएंगे, ताकि यदि कहीं बादल फटता है, तो बादलों में आए परिवर्तन का अध्ययन हो सके। इससे यह फायदा होगा कि बादल फटने की स्थिति बनने पर समय से चेतावनी जारी की जा सकती है।

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