डेंगू का मच्छर करीब तीन माह से प्रदेशभर में बरपाया कहर, जांच को फीस तय…

उम्मीद कीजिए कि निजी लैब डेंगू की जांच के नाम पर अब खेल नहीं कर पाएंगे। मरीजों से की जा रही अवैध वसूली पर तंत्र की तंद्रा टूटने के बाद अब जांच के लिए शुल्क तय कर दिए गए हैं। यह अलग बात है कि फैसला लेने तीन माह का वक्त लग गया।

राज्य सरकार व निजी पैथोलॉजी केंद्रों ने पहल तब की जब प्रदेश में डेंगू पीड़ितों का आंकड़ा तीन हजार के पास पहुंच चुका है। यही नहीं, आठ मरीजों की इस बीमारी के चलते मौत भी हो गई। बहरहाल, अब यही कहा जा सकता है कि देर आए दुरुस्त आए। पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन ने तय किया है कि रैपिड जांच के मरीज से एक हजार रुपये, जबकि एलाइजा जांच के 500 रुपये लिए जाएंगे।

डेंगू का मच्छर करीब तीन माह से प्रदेशभर में कहर बरपा रहा है। ऐसा कोई दिन नहीं बीत रहा जब डेंगू का कोई नया मरीज न सामने आ रहा हो। बल्कि पिछले कुछ वक्त में स्थिति ज्यादा भयावह हो चुकी है। मरीजों की संख्या बढ़ने  के कारण तमाम इंतजाम धरे रह गए हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों में न केवल बेड मिलना मुश्किल हो रहा है, बल्कि जांच के लिए भी मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

उस पर निजी लैब व अस्पताल मरीजों से मनचाही फीस वसूल रहे हैं। दैनिक जागरण लगातार इस मुद्दे के उठाता रहा है। पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस ओर कोई पहल नहीं की गई। शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डेंगू की समीक्षा की थी। उन्होंने आइएमए व निजी पैथोलॉजी लैब के साथ समन्वय स्थापित कर वास्तविक फीस का निर्धारण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे।

इस पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने इस बावत निर्देश जारी किए। इसके बाद पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन ने इस मसले पर बैठक की। इसमें शुल्क निर्धारण का निर्णय लिया गया। अध्यक्ष डॉ. सविता गोयल ने कहा कि अधिकांश निजी लैब वाजिब ही शुल्क ले रहे हैं। सरकारी लैब में जहां रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन भी लग रहे हैं, हम एक दिन में रिपोर्ट दे रहे हैं। अब मरीजों के हित में दाम और कम कर दिए गए हैं। जिसका सर्कुलर भी जल्द जारी कर दिया जाएगा।

अनाधिकृत लैब पर कार्रवाई की मांग

जांच की दरें तय करने के साथ ही पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन ने अपनी चिंता भी जाहिर की है। अध्यक्ष डॉ. सविता गोयल का कहना है कि शहर में कई जांच केंद्र अनाधिकृत रूप से चल रहे हैं। जगह-जगह कई छोटे लैब व कलेक्शन सेंटर खुल गए हैं। इनमें कई निर्धारित मानक भी पूरे नहीं करते हैं। अवैध शुल्क वसूली की ज्यादा शिकायतें भी यहीं से हैं। जिस कारण सभी पैथोलॉजी लैब बदनाम हो रहे हैं। इस विषय पर स्वास्थ्य महानिदेशक से मुलाकात की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई में पैथोलॉजिस्ट संघ भी सहयोग करेगा।

ये तय की जांच की दरें 

जांच—————–पुरानी दर———नयी दर

रैपिड टेस्ट———-1200————–1000

एलाइजा जांच——1000—————-500

सीबीसी—————-360—————-300

प्लेटलेट्स काउंट——150—————130

निजी-सरकारी अस्पतालों में हाउसफुल

डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण अस्पतालों पर भी मरीजों का बोझ बढ़ता जा रहा है। रही-सही कसर वायरल व अन्य मौसमी बीमारियों ने पूरी कर दी है। सरकारी अस्पताल हो या फिर प्राइवेट सभी जगह ओपीडी व आइपीडी में मरीजों की भीड़ लगी हुई है। स्थिति ये कि डेंगू भर्ती करने के लिए जो अलग आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं, वहां भी बेड उपलब्ध नहीं हैं। अब तो बरामदे में स्ट्रेचर लगाकर मरीजों का उपचार किया जा रहा है। हालात ये हैं कि मरीज भर्ती करने के लिए भी सिफारिश लगाई जा रही है।

डेंगू से ज्यादा तेज फैल रहा उसका डर

लोगों में डेंगू का दहशत इस कदर है कि सामान्य बुखार में भी वह अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इससे अस्पतालों में भीड़ जुटने से पांव रखने तक की जगह नहीं मिल रही है। न केवल ओपीडी बल्कि पैथोलॉजी में भी मरीजों की लंबी कतार देखी जा सकती है।

प्रदेश में 32 और लोगों को लगा डेंगू का डंक

डेंगू का कहर थम नहीं रहा है। ऐसा एक दिन नहीं बीत रहा, जबकि डेंगू के नए मरीज सामने नहीं आ रहे हैं। मौसम का मौजूदा मिजाज भी मच्छर पनपने के लिए मुफीद बना हुआ है। ताजा मामले में नैनीताल में 32 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। प्रदेशभर में अब तक 2875 मरीजों को डेंगू डंक मार चुका है। जिनमें सर्वाधिक 1788 मरीज जनपद देहरादून के हैं।

वहीं नैनीताल में 901, हरिद्वार में 104, ऊधमसिंह नगर में 45, टिहरी गढ़वाल में 15, पौड़ी गढ़वाल में 12, अल्मोड़ा में आठ और चंपावत व रुद्रप्रयाग में एक-एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसके अलावा आठ मरीजों की डेंगू के कारण मौत भी हो चुकी है।

वर्तमान में पहाड़ व मैदान में मौसम का जो मिजाज बना हुआ है, उससे लगता नहीं कि डेंगू का मच्छर जल्द निष्क्रिय होगा। चिकित्सक भी मान रहे हैं कि मौसम का मौैजूदा रुख मच्छर की सक्रियता के लिए मुफीद बना हुआ है। वातावरण में तापमान का अधिकतम स्तर 25-26 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर ही मच्छर की सक्रियता कम होगी।

कुल मिलाकर इस बार राज्य में डेंगू का प्रकोप लगातार बना हुआ है। पिछले डेढ़ माह में तो डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छर तमाम सीमाएं लांघ दी। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान पहाड़ व मैदान में एक हजार से अधिक लोग डेंगू की चपेट में आए हैं।

कई मरीजों का आंकड़ा महकमे के पास उपलब्ध ही नहीं है। क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों में उपचार कराने वाले मरीजों का ब्यौरा जुटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई नीति ही निर्धारित नहीं की है। बहरहाल, डेंगू का डंक गहराता जा रहा है और विभागीय अधिकारी दावे पर दावे कर रहे हैं।

यही नहीं, खानापूर्ति करने के लिए आए दिन बैठकें आयोजित की जा रही हैं, लेकिन अब तक का परिणाम सिफर ही रहा है। ऐसे में सहज अनुमान ही लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में डेंगू का मच्छर किस कदर कहर बरपा सकता है।

रविवार को भी खुले अस्पताल, 273 मरीजों ने लिया उपचार

डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकारी अस्पताल रविवार को भी खुले रहे। कोरोनेशन व गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में आम दिनों की ही तरह ओपीडी हुई और मरीजों की पैथोलॉजी जांच भी की गई। कोरोनेशन में 172 और गांधी में 101 मरीजों का इलाज किया गया। इसमें अधिकतर वायरल और डेंगू के संदिग्ध मरीज थे। इसके साथ ही संदिग्ध मरीजों के सैंपल भी लिए गए।

शहर में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्थिति ये कि इस बार तीन साल का रिकॉर्ड टूट गया है। ऐसे में स्वास्थ्य महकमा अब किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता है। पहले से ही आंकड़ों को लेकर अपनी किरकिरी करा चुका महकमा अब फंूक-फंूककर कदम रख रहा है। इसी को देखते हुए रविवार को कोरोनेशन अस्पताल व गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय खुले रहे।

जहां चिकित्सकों ने मरीजों को इलाज के साथ-साथ उन्हें जागरूक भी किया। इसके अलावा लैब में 80 सैंपल एकत्र किए गए। सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने बताया कि अधिकतर मरीज बुखार और वायरल की शिकायत लेकर आए थे। उन्होंने बताया कि पूरे दिन अस्पताल में स्टाफ मौजूद रहा। इमरजेंसी में भी कई मरीजों का उपचार किया गया है।

डीजी और सीएमओ भी उतरे फील्ड में 

देहरादून में अब तक 1788 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इनमें भी अभी निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों की संख्या शामिल नहीं है। डेंगू से अब तक आठ मरीजों की मौत भी हो चुकी है। जिनमें चार का स्वास्थ्य विभाग डेथ ऑडिट करा रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से हलकान है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी फील्ड में रहे। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडे, सीएमओ डॉ. एसके गुप्ता ने अस्पतालों का निरीक्षण कर डेंगू की स्थिति का अपडेट लिया। इसके साथ ही मरीजों का हालचाल भी जाना।

एसएसपी ने जाना डेंगू पीड़ित पुलिसकर्मियों का हाल

एसएसपी अरुण मोहन जोशी डेंगू बुखार से पीड़ित पुलिसकर्मियों के घर पहुंचे। सभी से उनका कुशलक्षेम पूछा और इलाज में आ रही दिक्कतों की जानकारी लेकर हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।

इस क्रम में एसएसपी सबसे पहले बुखार से पीड़ित पुलिस अधीक्षक नगर श्वेता चौबे के आवास पहुंचे। एसपी सिटी दो दिन से बुखार से पीडि़त हैं, लेकिन पैथोलोजी जांच में डेंगू की पुष्टि नहीं हुई है। यहां से वह इंस्पेक्टर विकासनगर प्रदीप बिष्ट के जोगीवाला स्थित घर पहुंचे।

इसके बाद पीआरओ एसआई धर्मेंद्र रौतेला व हेड कांस्टेबिल धर्मेंद्र सिंह बिष्ट से मिलने पुलिस लाइन स्थित आवासीय कॉलोनी पहुंचे। एसएसपी ने बताया कि सभी को अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए कहा गया है कि वह सही तरीके से इलाज कराएं। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें। वहीं, बाहर निकलते समय मच्छर रोधी क्रीम लगाने के साथ ऐसे कपड़े पहन कर बाहर निकलने को कहा, जिससे हाथ व पैर ढके रहें।

शिविर में लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण 

छबीलबाग मलिन बस्ती कांवली व पूरन बस्ती में डेंगू रोधी स्वास्थ्य शिविर में चिकित्सकों ने लोगों का परीक्षण कर उन्हें दवाएं वितरित की। मुख्य अतिथि पूर्व विधायक राजकुमार ने शिविर का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा है कि अन्य क्षेत्रों में भी इस प्रकार के शिविर आयोजित किए जाने चाहिए। यह अच्छी बात है कि स्वास्थ्य विभाग के साथ ही निजी चिकित्सक की भी इस काम में सहयोग कर रहे हैं।

पूरन बस्ती में आयोजित शिविर में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडेय व मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता भी पहुंचे। उन्होंने भी लोगों को डेंगू को लेकर जागरूक किया। इस दौरान उदयवीर प्रताप मल्ल, राजेंद्र खन्ना, शैलेंद्र थपलियाल, जहांगीर खान, हरि किशोर, विवेक चौहान विकास नेगी, तरुण निखिल कुमार आदि उपस्थित रहे।

फॉगिंग पर धुएं में उड़ रहे सभी मानक

नगर निगम को न तो फॉगिंग का तरीका पता है, न ही इसके लिए उपयुक्त समय की जानकारी है। शहर में डेंगू का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा और नगर निगम ताबड़तोड़ फॉगिंग के दावे किए जा रहे। विशेषज्ञों के मुताबिक फॉगिंग के लिए सबसे उपयुक्त समय सुबह साढ़े छह बजे से सुबह आठ बजे तक का है, लेकिन इस समय पर कहीं भी फॉगिंग नहीं हो रही।

फॉगिंग मशीन के लिए उपयोग हो रहे वाहन की रफ्तार भी 20 किमी प्रतिघंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन निगम कर्मी तूफान गति से वाहनों को दौड़ाकर फॉगिंग करते दिख रहे। ऐसे में सवाल उठ रहे कि इससे डेंगू प्रभावित जनता को क्या लाभ होगा।

डेंगू के प्रकोप को देखते हुए सरकार की नींद भी टूटी है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार सरकारी व्यवस्थाओं का अपडेट ले रहे, लेकिन वार्डों में डेंगू प्रभाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। कुछ दिन पहले तक नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग की टीमें वार्डों में जाकर लार्वा की चेकिंग कर रही थी, लेकिन आजकल यह भी बंद है। फॉगिंग कहीं नजर नहीं आ रही। डेंगू प्रभावित इलाकों में तो सरकारी तंत्र झांकने को भी राजी नहीं है। निगम अफसर दावा कर रहे वार्डों में युद्धस्तर पर फॉगिंग कराई जा रही, लेकिन लोग लगातार इससे इन्कार कर रहे।

कांग्रेस ने शुरू किया  जनजागरण अभियान

कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने डेंगू से लड़ने के लिए लोगों में जनजागरण की मुहिम शुरू की है। इसकी शुरुआत करते हुए उन्होंने माजरा क्षेत्र में जाकर लोगों को डेंगू से बचाव की जानकारी दी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लोगों से अपील की कि वह मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए अपने घर व आसपास पानी जमा न होने दें। घर के आसपास गंदगी एकत्रित न होने दें व सफाई पर विशेष ध्यान दें।

उन्होंने कहा कि अगर किसी को बुखार, शरीर में दर्द और उल्टी की शिकायत हो तो डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें व खून की जांच करवाएं।  अगर डेंगू की रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो बिना घबराए इलाज शुरू करवाएं। कहा कि डेंगू के लिए एलाइजा टेस्ट करवाएं। इस अवसर पर कांग्रेस नेता महेश जोशी, सलीम अंसारी, अनीस अंसारी, विनीत कांत, उपेंद्र पंवार, अयूब अकेला, सोनू कुरैशी, फरमान मलिक, जाहिद अंसारी आदि शामिल थे।

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