डिफेंस सेक्टर में बदलाव की जरूरत, हथियारों के मामलों में आत्मनिर्भर होना होगा : सीडीएस
नई दिल्ली। सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भारत को अपनी सैन्य जरूरतों के लिए अन्य देशों पर निर्भरता और प्रतिबंधों की धमकियों के डर को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की डिफेंस इंडस्ट्री अब कई गुना ग्रोथ को तैयार है। भारत अपने पुराने हथियार उन देशों को निर्यात भी कर सकता है, जिनके पास खुद की रक्षा के लिए पर्याप्त हथियार नहीं है।
जनरल बिपिन रावत भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) में ‘कैटालाइजिंग डिफेंस एक्सपोर्ट’ विषय पर आयोजित एक ई-सिम्पोजियम को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत के डिफेंस पब्लिक सेक्टर और ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में काम का माहौल सुधारने व क्वालिटी कंट्रोल बढ़ाने की जरूरत है। जनरल रावत ने कहा कि हमारे पास पुराने हथियार सिस्टम अच्छे तो हैं लेकिन अब बदलती तकनीक के जमाने में अत्याधुनिक हथियारों की जरूरत है।
सीडीएस ने कहा कि भारत को दूसरे देशों से हथियार खरीदने की निर्भरता से बाहर आना होगा। जैसे अमेरिकी प्रतिबंधों के डर के बावजूद भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम का सौदा किया। उन्होंने कहा कि भारत की अधिकतर डिफेंस पीएसयू ‘नवरत्न’ या मिनी रत्न की श्रेणी में है। जनरल रावत ने कहा कि हम न केवल संख्या के आधार पर, बल्कि सघन युद्ध अनुभव, पेशेवर रवैये और गैर-राजनीतिक प्रकृति के कारण दुनिया के अग्रणी सशस्त्र बलों में से एक हैं।
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत 2019 में रक्षा निर्यातकों की सूची में 19वें स्थान पर था और भारत ने रक्षा निर्यात में 700 प्रतिशत की ग्रोथ की है। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ अपने सुरक्षाबलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हथियारों और रक्षा उपकरणों का उत्पादन नहीं कर रहे, बल्कि धीरे-धीरे एक रक्षा निर्यात उद्योग बन रहे हैं। हमने 2016-17 में 1521 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया था जो 2018 में यह रक्षा निर्यात बढ़कर 10,745 करोड़ रुपये हो गया।
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