अल्पमत के चलते अटके रह गए ”तीन तलाक” समेत कई बिल

कसभा चुनाव 2019 में बड़ी जीत के बाद अब भाजपा के लिए अगली चुनौती राज्यसभा है। ये पार्टी का आने वाली साल में अगला मिशन माना जा रहा है। भाजपानीत एनडीए राज्यसभा में अल्पमत की स्थिति से उबरने की कोशिश कर रही है। राज्यसभा में एनडीए की बहुमत से सरकार को आसानी से बिल पारित करने में मदद मिलेगी। 

पिछले पांच सालों में कई बिलों को लेकर सरकार को राज्यसभा में परेशानी का सामना करना पड़ा है। अल्पमत के चलते ट्रिपल तालक, मोटर वाहन अधिनियम और नागरिकता अधिनियम संशोधन जैसे कई प्रमुख बिल राज्यसभा में पास नहीं हो सके। 
जहां लोकसभा सांसदों को सीधे जनता चुनती है वहीं राज्यसभा सदस्यों को राज्य के विधायकों द्वारा चुना जाता है। भाजपा के पास विधायकों की अच्छी-खासी संख्या है तो ऐसे में पार्टी के पास राज्यसभा में ज्यादा से ज्यादा सदस्य भेजने का अच्छा मौका है। 

इतिहास में पहली बार पिछली साल ऐसा हुआ कि भाजपा ने राज्यसभा में कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया। राज्सभा की 245 सीटों में एनडीए के 101 सांसद हैं। जबकि उसे तीन नामित सदस्यों, स्वपन दासगुप्ता, मैरी कॉम और नरेंद्र जाधव और कम से कम तीन स्वतंत्र सांसदों का समर्थन प्राप्त है। 

इस तरह एनडीए की ये संख्या 107 तक पहुंच जाती है। यूपीए द्वारा मनोनीत सदस्य केटीएस तुलसी अगले साल रिटायर हो रहे हैं तो एनडीए के पास अपनी पसंद का नॉमिनी नियुक्त करने का मौका है। बता दें कि एक राज्यसभा सांसद का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। 

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