टकराव में फंसे नवजोत सिंह सिद्धू का कांग्रेस में बढ़ सकता कद, खामोशी के बीच ‘गुरु’ को दूसरी पार्टी से भी ऑफर

पंजाब के कैबिनेट मंत्री और फायर ब्रांड नेता नवजाेत सिंह सिद्धू की खामोशी जारी है और उन्‍होंने अपना विभाग बदले जाने के बाद नए विभाग का कार्यभार भी नहीं संभाला है। इन सबके बीच चर्चा है कि सिद्धू के लिए कांग्रेस मं नया रास्‍ता तैयार करने की कोशिश हो रही है। बताया जा रहा है कि सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की आपसी तनातनी को खत्म करने के लिए कांग्रेस नए फार्मूले पर काम कर रही है। इसके तहत सिद्धू को पार्टी में बड़ा पद मिल सकता है और वह राहुल गांधी की टीम का हिस्‍सा हो सकते हैं। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने भी सिद्धू को खुला ऑफर दिया है।

पार्टी में चार उपाध्‍यक्ष बनाए जा सकते हैं, सिद्धू के नाम की भी चर्चा

संसदीय चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात पर अड़े हैं। इसके विकल्प के रूप में पार्टी में चर्चा चल रही है कि पूरे देश को चार हिस्सों में बांटकर चार उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाएं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उत्तरी हिस्से के लिए नवजोत सिंह सिद्घू के नाम की चर्चा चल रही है।

इन संसदीय चुनाव में कांग्रेस की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू ने राहुल गांधी के बाद सबसे ज्यादा रैलियां की थीं। उससे पहले भी जब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे तो नवजोत सिद्धू की सेवाएं सबसे ज्यादा ली गई थीं। इन तमाम राज्यों में सबसे ज्यादा डिमांड उन्हीं की थी। विधानसभा में तो सिद्धू की परफॉर्मेंस अच्छी रही, लेकिन संसदीय चुनाव में वह चूक गए।

कैप्टन ने सिद्धू को बताया था नॉन परफॉर्मर

पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू ने सबसे कम रैलियां की, लेकिन यहां कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें आईं। बठिंडा की रैली में उन्होंने जिस तरह से नाम लिए बिना मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर शिरोमणि अकाली दल से मिलीभगत को लेकर निशाना साधा, उससे कैप्टन बिफर गए। वह चुनाव परिणाम तक तो चुप रहे, लेकिन जैसे ही चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश में बढ़त मिली और देशभर में पार्टी का बुरा हाल हुआ, तो वे सिद्धू पर हमलावर हो गए।

कैप्‍टन अमरिंदर ने परिणाम वाले दिन ही सिद्धू को नॉन परफॉर्मर मिनिस्टर तक कह डाला और एलान किया कि वह जल्द ही सिद्धू का विभाग बदल देंगे। बाद में उन्होंने विभाग बदल भी दिया। हालांकि, नवजोत सिंह सिद्धू अपने विभाग में दी गई परफॉर्मेंस के बारे में बार-बार मीडिया में गए और आंकड़े देते हुए उन्होंने दावा किया कि उनकी परफॉर्मेंस कई अन्य मंत्रियों से बेहतर रही है।

वह इस मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मिले। इस मीटिंग में प्रियंका गांधी और अहमद पटेल भी थे। राहुल गांधी ने इस मसले का हल करने के लिए अहमद पटेल की ड्यूटी लगाई, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के सहयोग न देने के चलते पार्टी अब नवजोत सिंह सिद्धू के लिए नई भूमिका की तलाश कर रही है।

राहुल व प्रियंका से मिलने के बाद खामाेश हैं सिद्धू

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद से सिद्धू खामोश हैं। उन्‍होंने अपने नए ऊर्जा विभाग का कार्यभार भी नहीं संभाला है। इसके साथ ही सिद्धू सामने नहीं आ रहे हैं। साेशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहने वाले सिद्धू ने वहां भी चुप्‍पी साध रखी है। इससे ‘गुरु’ सिद्धू के बारे में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं।

सेकेंड लाइन लीडरशिप की तैयारी

पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में जिन चार उपाध्यक्षों को नियुक्त करने की बात चल रही है, उसमें एक सिख चेहरे को भी आगे करने की बात है। इसके लिए पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम पर भी चर्चा हुई थी, लेकिन पार्टी के कई नेताओं का मानना हैं कि सिद्धू ऐसा चेहरा हैं, जिनको सेकेंड लाइन के लीडर के रूप में भी उभारा जा सकता है।

आम आदमी पार्टी ने दिया खुला ऑफर

दूसरी ओर, नवजोत सिंह सिद्धू को अब आम आदमी पार्टी ने भी खुला ऑफर दिया है। इससे पहले लोक इंसाफ पार्टी के प्रमुख सिमरजीत सिंह बैंस और पीडीए के प्रमुख सुखपाल सिंह खैहरा अपनी पार्टी में आने का सिद्धू को न्योता दे चुके हैं।

लुधियाना पहुंचे आम आदमी पार्टी के विधायक व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने नवजोत सिद्धू को पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि सिद्धू को आप में पूरा मान सम्मान दिया जाएगा। ईमानदार लोगों के लिए आम आदमी पार्टी के दरा हमेशा खुले हैं। हरपाल सिंह चीमा लोकसभा चुनाव में हुई हार पर मंथन करने लुधियाना पहुंचे थे।

हरपाल चीमा ने कहा कि अकाली भाजपा गठबंधन ने बिजली को लेकर बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों के साथ करार किए हैं। कैप्टन ने चुनाव घोषणा पत्र में कहा था कि वह सरकार बनाते ही इन करारों को खत्म कर देगी। लेकिन सरकार ने इन्हें खत्म नहीं किया। उन्होंने सिद्धू से अपील की है कि अगर वह सरकार में बने रहते हैं तो बिजली महकमा संभालें और बादल परिवार के किए करारों को खत्म करें।

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