मंदिर में पूजा के दौरान व्यक्ति ने गला काटकर दी जान: झारखंड

झारखंड के प्रसिद्ध छिन्नमस्तिका मंदिर में मंगलवार की सुबह एक व्यक्ति ने पूजा के दौरान गला काटकर जान दे दी. रजरप्पा थाना के प्रभारी अतिन कुमार ने बताया कि मरने वाले व्यक्ति का नाम संतोष नट था. वो बिहार के बक्सर जिले के बलिहार गांव के रहने वाले थे. मंदिर में पूजा के दौरान व्यक्ति ने गला काटकर दी जान: झारखंडपुलिस के मुताबिक संतोष ने धारदार कटार से अपना गला काट लिया. इससे गर्दन का बड़ा हिस्सा धड़ से अलग हो गया.

छिन्नमस्तिका मंदिर झारखंड की राजधान रांची से करीब सत्तर किलोमीटर दूर है.

मंदिर के मुख्य पुजारी असीम पंडा के मुताबिक सिद्धपीठ के तौर पर मशहूर इस मंदिर में बकरे की बलि की भी परंपरा है.

इस बीच रामगढ़ जिले के प्रभारी अनुमंडलाधिकारी महावीर प्रसाद ने मंदिर परिसर का जायजा लिया.

उन्होंने मृतक के परिजन से बातचीत भी की.

प्रसाद ने बीबीसी को बताया कि ये तथ्य सामने आए हैं कि संतोष नट पर देवी भक्ति का जुनून सवार था. हो सकता है इसी आवेग में उन्होंने अपना गला काट लिया होगा.

उन्होंने बताया कि पुलिस को ये भी जानकारी मिली है कि संतोष नट ओड़िशा में सीआरपीएफ के जवान के तौर पर तैनात थे. हालांकि इस बारे आधिकारिक तौर पर जानकारी जुटाई जा रही है.

पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए हजारीबाग भेजा है और हथियार जब्त कर लिया है.

पुलिस को संतोष के पास कागज का टुकड़ा मिला है, जिस पर उसके नाम और पते के साथ मोबाइल नंबर दर्ज है.

मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को जानकारी हुई कि संतोष नट सुबह मंदिर के पट खुलने के साथ पूजा करने पहुंच गए थे. पहले उन्होंने कई दफा मंदिर की परिक्रमा की.

स्थानीय लोगों ने उन्हें सोमवार की रात मंदिर परिसर के एक होटल में खाना खाते देखा था.

 

मंदिर के मुख्य पुजारी असीम पंडा ने बताया कि सुबह हुई इस घटना के बाद तत्काल पूजा-अर्चना रोक दी गई.

संतोष नट के शरीर का पूरा खून फर्श पर बह गया था. इस घटना से वहां मौजूद लोग सकते में आ गए थे.

पुजारी के मुताबिक घटना के बाद मंदिर के शुद्धिकरण का काम शुरू हुआ.

पुलिस से मिले फोन नंबर के आधार पर जब संतोष नट की पत्नी शारदा देवी से संपर्क किया गया तो वो बहुत कुछ बताने की स्थिति में नहीं थीं. लेकिन उन्होंने ये जानकारी दी कि संतोष बीस दिनों की छुट्टी पूरी करने के बाद रविवार को दिन में ड्यूटी पर जाने की बात कहकर निकले थे.

संतोष नट ने परिवार वालों से कहा था अब वे अगली दफा वैशाख महीने में घर आएंगे.

शारदा देवी ने बताया कि वो पूजा पाठ तो करते थे, लेकिन इसका कभी अभास नहीं था कि वे रजरप्पा जाकर इस तरह की घटना को अंजाम देंगे.

 

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