झारखंड चुनावों की लड़ाई स्थानीय मुद्दों की टक्कर बीजेपी को है पीएम पर भरोसा

झारखंड विधानसभा चुनावों की लड़ाई अब स्थानीय मुद्दे बनाम राष्ट्रीय मुद्दों की बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह से लेकर चुनाव प्रचार युद्ध में उतरे भाजपा के सभी बड़े छोटे नेता राष्ट्रीय मु्ददों पर वोट मांग रहे हैं, जबकि कांग्रेस झारखंड मुक्ति मोर्चे ने पूरे चुनाव प्रचार को राज्य के स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रखा है। यहां तक कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी राष्ट्रीय मुद्दों पर ज्यादा नहीं बोल रहे हैं। उनका सारा जोर झारखंड के स्थानीय मुद्दों पर है।

रांची शहर में किसी से भी बात कीजिए लोग राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा स्थानीय समस्याओं और मुद्दों पर बात करते मिलेंगे। वरिष्ठ पत्रकार सुनील तिवारी कहते हैं कि पूरा चुनाव मुख्यमंत्री रघुवर दास के इर्द गिर्द सिमट कर रह गया है। चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है रघुवर दास को हटाना है या फिर लाना है। तिवारी कहते हैं कि बाकी सारे मुद्दे गौण हो गए हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में अनुच्छेद 370, राम मंदिर से लेकर नागरिकता कानून तक के मुद्दे को उठा रहे हैं और इसके लिए झारखंड की जनता से राज्य में दोबारा भाजपा सरकार बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं।

वहीं राहुल गांधी ने अपनी सभाओं में नोटबंदी का मुद्दा उठाकर उसे बेरोजगारी से जोड़कर स्थानीय मु्ददों पर आ जाते हैं। पिछले डेढ़ महीने से रांची में डेरा डाले कांग्रेस नेता और झारखंड के प्रभारी आरपीएन सिंह कहते हैं कि कांग्रेस और झामुमो गठबंधन ने शुरू से ही इस रणनीति पर काम किया कि विधानसभा चुनाव को सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर ही लड़ा जाएगा और रघुवर दास सरकार की विफलताओं को लोगों के सामने उजागर करके राज्य की तस्वीर बदलने के वादे के साथ जनता से जनादेश मांगा जाएगा।

सिंह के मुताबिक राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के जितने भी नेता चुनाव प्रचार में आ रहे हैं मुख्य रूप से राज्य में भूख से हुई मौतें, किसानों की आत्महत्याएं. नोटबंदी के बाद धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो, रांची आदि शहरों में कारोबार में हुए नुकसान से बढ़ी बेरोजगारी, सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा और बदहाल शिक्षा व्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां आर्थिक नीतियों की विफलता की बात की।

जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, राज बब्बर, भूपेश बघेल, शत्रुघ्न सिन्हा आदि नेताओं ने इन्हीं स्थानीय मुद्दों पर जोर दिया है। वहीं भाजपा नेताओं को पूरा भरोसा है कि राज्य की जनता के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है और केंद्र सरकार ने पिछले दिनों जो साहसिक फैसले लिए हैं, झारखंड की जनता भाजपा के पक्ष में जनादेश देकर उन पर मुहर लगाएगी। इसीलिए भाजपा का पूरा प्रचार अभियान राष्ट्रीय मु्ददों पर ही केंद्रित है।

राजनीतिक विश्लेषक श्याम चौबे का मानना है कि स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों पर भारी होते दिख रहे हैं। चौबे के मुताबिक पिछले तीन चरणों हुए मतदान में लोगों का रुझान स्थानीय मु्ददों की तरफ ज्यादा दिखाई दिया। जबकि सुनील तिवारी चुनौती भरे अंदाज में कहते हैं कि झारखंड के आम लोग जिनमें आदिवासी दलित और पिछड़े वर्गों की बहुतायत है, उन्हें फिलहाल इन चुनावों में अनुच्छेद 370, सीएबी औ्रर एनआरसी से कोई मतलब नहीं है। उन्हें अपनी समस्याओं और कठिनाइयों से मतलब है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव का कहना है कि क्योंकि राज्य की भाजपा सरकार के पास पिछले पांच सालों में एसी कोई भी उपलब्धि नहीं है जिसके आधार पर वो दोबारा जनादेश के लिए अपील कर सके, इसलिए भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों की आड़ में अपनी राज्य सरकार की विफलताओं को ढकने का प्रयास कर रही है।

लेकिन रांची के प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठे नेता इसे नकारते हैं। उनके मुताबिक राज्य सरकार ने पिछले पांच सालों में बहुत काम किया है और मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत सभी भाजपा नेता अपने भाषणों में केंद्र सरकार की सफलाओं के साथ साथ राज्य सरकार की उपलब्धियों का भी बखूबी जिक्र कर रहे हैं।

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