जेएनयू ने जिस प्रोफेसर को डीन पद से हटाया था उसे मिला इंफोसिस पुरस्कार, वीसी ने नहीं दी बधाई

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स(एसएए) की डीन कविता उन 6 लोगों में से हैं जिन्हें मंगलवार को इंफोसिस पुरस्कार से नवाजा गया। जेएनयू की इस प्रोफेसर को पुरस्कार मिलने के इतने दिन बाद भी ये इंतजार है कि शायद जेएनयू के वाइस चांसलर या विश्वविद्यालय प्रशासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से कोई बधाई संदेश आए।जेएनयू ने जिस प्रोफेसर को डीन पद से हटाया था उसे मिला इंफोसिस पुरस्कार, वीसी ने नहीं दी बधाई

यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि प्रोफेसर कविता वही हैं जिन्हें अपने स्कूल के डीन के पद से हटा दिया गया था क्योंकि वह प्रशासन द्वारा जारी अटेंडेंस के नियम नहीं मान रही थीं। उन्हें एकेडमिक काउंसिल की बैठकों में शामिल होने से भी रोक दिया गया है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार कविता सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय काफी समय से उनके खिलाफ ये दंडात्मक रवैया अपनाए हुए है। जेएनयू ने उनकी विदेश में अतिथि शिक्षक के रूप में जाने का आवेदन भी खारिज कर दिया।

वीसी को चिट्ठी लिखने के बावजूद नहीं दी बधाई

कविता कला की इतिहासकार हैं, जिन्हें इंफोसिस पुरस्कार उनके मुगल, राजपूत और  दक्कन कला पर अद्वितीय कार्य करने और ऐतिहासिक कार्यक्रमों और म्यूजियम की भूमिका और उनके महत्व  पर बहुत ही बारीकी से लिखे हुए लेख के लिए मिला है।

कविता ने बताया कि अवार्ड मिलना उनके लिए एक आकस्मिक घटना थी क्योंकि उन्होंने मेरा अपडेटेड सीवी भी नहीं मांगा था और न ही एक बार भी बताया था कि मेरे नाम के बारे में सोचा जा रहा है। मुझे एक फोन आया जिसमें मुझे बधाई दी गई और कहा गया कि जब तक अधिकारिक घोषणा नहीं हो जाती तब तक मैं ये बात किसी को न बताऊं।

कविता ने आगे कहा, अब जबकि मैं पुरस्कार जीत गई हूं मुझे मेरे वाइस चांसलर की तरफ से एक भी संदेश नहीं आया है, जबकि उन्हें मैंने निजी तौर पर लिखकर इस बारे में बताया  था। यहां तक कि यह जानकारी भी जेएनयू की वेबसाइट पर नहीं डाली गई है।  इस विषय में वीसी, रजिस्ट्रार और रेक्टर-1 से किसी भी तरह की कोई बात नहीं हो सकी है।

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