जेएनयू चार्जशीट मामले में उपजा नया विवाद, सरकार की बिना अनुमति के दाखिल किया आरोप पत्र

जेएनयू देशद्रोह मामले में चार्जशीट दाखिल करने के मामले में नया विवाद खड़ा हो गया है। इससे दिल्ली की राजनीति गरमा सकती है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली सरकार की अनुमति लिए बिना ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। जेएनयू चार्जशीट मामले में उपजा नया विवाद, सरकार की बिना अनुमति के दाखिल किया आरोप पत्र

देशद्रोह के मामले में दिल्ली सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है। जानकारों का कहना है कि दिल्ली सरकार की अनुमति मिलने तक कोर्ट चार्जशाीट में देशद्रोह वाली धारा पर संज्ञान नहीं लेगा। अगर दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी तो देशद्रोह की धारा स्वत: खत्म हो जाएगी। दिल्ली सरकार की अनुमति लिए बिना ही चार्जशीट दाखिल करने पर सवाल भी उठ रहे हैं।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चार्जशीट में कई आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह की धारा 124ए  लगाई गई है। इस धारा में कोर्ट सीआरपीसी की धारा 196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है, जब दिल्ली सरकार की अनुमति मिली हो।

 इसके बिना कोर्ट देशद्रोह की धारा 124ए पर संज्ञान नहीं लेगा और यह स्वत: खत्म हो जाएगी। दिल्ली सरकार की अनुमति न मिलने की स्थिति में कोर्ट देशद्रोह की धारा छोड़कर अन्य धाराओं पर संज्ञान लेगा। 

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि स्पेशल सेल ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने वाले दिन यानी सोमवार को ही दिल्ली सरकार को अनुमति के लिए पत्र लिखा था। दिल्ली सरकार ने बुधवार तक अनुमति नहीं दी है। स्पेशल सेल के अधिकारियों ने बुधवार को दिल्ली सचिवालय जाकर अनुमति देने का आग्रह किया।

दिल्ली सरकार की अनुमति नहीं मिलने पर भी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के सवाल पर स्पेशल सेल के अधिकारियों का कहना था कि देशद्रोह की धारा में तीन वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की सजा है। 

चार्जशीट दाखिल करने में तीन वर्ष का समय हो गया था। समय से कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं की जाती तो देशद्रोह की धारा टिकती नहीं। अब दिल्ली सरकारी पर निर्भर है कि वह अनुमति दे या नहीं। अब गेंद दिल्ली सरकार के पाले में है। वैसे स्पेशल सेल का मानना है कि दिल्ली सरकार जल्द ही अनुमति दे देगी।

नहीं मिली अनुमति तो साबित होगी लापरवाही

इस संबंध में हाईकोर्ट के अधिवक्ता एमएस खान ने बताया कि देशद्रोह की धाराओं में दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल की अनुमति लेना जरूरी है। अनुमति मिलने के बाद ही कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेगा। 

दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी तो कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा। इन हालात में कोर्ट अन्य धाराओं में संज्ञान ले लेगा। दिल्ली सरकारी ने अनुमति नहीं दी तो यह पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही होगी और इसका असर केस पर पड़ेगा।

Back to top button