जुआ खेलने में जिंदगी गुजार देते हैं ऐसे लोग

पं.अभि भारद्वाज के अनुसार यदि हाथ में सूर्य की अंगुली पहली अंगुली तर्जनी से अधिक लम्बी और बीच की मध्यमांगुलि के बराबर हो, साथ ही सूर्य रेखा से अधिक बलवान हो तो उस मनुष्य की प्रवृत्ति जुआ खेलने की ओर अधिक होती है। बावजूद इसके उसमें धन या गुणों की कमी नहीं होती। लेकिन मस्तिष्‍क रेखा नीचे की ओर झुकी हो तो उसका और भी अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे वह हर वक्‍त सट्टा, लाटरी या जुआ खेलना और शर्त लगाने में जुटा रहता है।जुआ खेलने में जिंदगी गुजार देते हैं ऐसे लोग

यदि सूर्यरेखा सूर्यक्षेत्र की ओर न जाकर शनि की अंगुली की ओर जा रही हो तो उस व्यक्ति की उन्नति या सफलता शोक और कठिनाइयों से मिलती है। ऐसे व्यक्ति धनवान और उन्नतिशील होकर भी प्रायः सुखी नहीं रह पाते। यदि यह रेखा शनिक्षेत्र को काट रही हो या अपनी कोई शाखा गुरूक्षेत्र की ओर भेज रही हो तो उसकी उन्नति या सफलता कोई शासन अधिकार अथवा राज्य द्वारा उच्च पद पाने के रूप में होगी। परन्तु रेखा का यह लक्षण किसी भी दशा में इतना प्रभावपूर्ण नहीं हो सकता जितना भाग्य-रेखा के गुरू अंगुली की ओर जाने के सम्बन्ध में होता है।

कई बार हाथ में छोटी-छोटी एक या एक से अधिक रेखाएं एक-दूसरे के समानान्तर सूर्यक्षेत्र पर दौड़ती पायी जाती हैं। ऐसे योग वाले व्यक्ति के विचार बिखरे हुए होते हैं। वह कभी कुछ करना चाहता है तो कभी कुछ। इसलिए वह व्यापार, चित्रकारी या कला कौशल किसी भी विशेष काम में कभी उन्नति नहीं कर पाता।

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