जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग चिकित्सालय में बनेगा सूबे का दूसरा ब्रेस्ट मिल्क बैंक….

 जन्म लेते ही मां को खोने वाले नवजात अब डिब्बा बंद दूध के भरोसे नहीं रहेंगे। उन्हें भी मां का दूध मिल सकेगा। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग चिकित्सालय में सूबे का दूसरा ब्रेस्ट मिल्क बैंक बनेगा। यहां माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर दूध सुरक्षित रहेगा।

एलएलआर अस्पताल (हैलट) के बाल रोग चिकित्सालय में नगर समेत 10 जिलों से नवजात रेफर होकर आते हैं। कई नवजात ऐसे होते हैं जिनकी मां जन्म देते ही दम तोड़ चुकी होती हैं। अब इलाज के दौरान ऐसे नवजात को मां का दूध ब्रेस्ट मिल्क बैंक यानी कम्प्रीहेंसिव लेक्टेशन मैनेजमेंट सिस्टम (सीएलएमसी) से मिलेगा।

बाल रोग विभागाध्यक्ष ने प्राचार्य प्रो. आरती लालचंदानी के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को प्रस्ताव भेजा है। मिशन निदेशक ने सहमति भी दे दी है। शीघ्र ही बजट जारी होने की उम्मीद है। सिक एंड न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के समीप ही सीएलएमसी की स्थापना होगी।

मां दान कर सकेंगी अपना दूध

माताएं नवजात को स्तनपान कराने के बाद अपना दूध दान कर सकेंगी। ऐसी मां जिनके बच्चे जन्म लेते ही दम तोड़ देते हैं, वह दूसरों के बच्चों के जीवन की खातिर अपना दूध दान कर सकेंगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव कहते हैं कि दूर-दराज से नवजात यहां इलाज को आते हैं। कई बार मां साथ नहीं आती हैं, जबकि जन्म के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्तनपान बहुत जरूरी है। इसलिए ब्रेस्ट मिल्क बैंक की स्थापना की जानी है, फिलहाल ऐसे बैंक दिल्ली, चेन्नई व मुंबई में हैं।

ऐसे सुरक्षित रखा जाएगा दूध

मां का दूध इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप से आटोमेटेड मशीनें निकालेंगी। उसकी स्क्रीनिंग कर संक्रमण चेक किया जाएगा। फिर माइनस 20 डिग्री सेंटीग्रेड पर पाश्च्यूराइज्ड होगा। सूबे में सरकारी एवं निजी क्षेत्र में कहीं भी ब्रेस्ट मिल्क बैंक नहीं है। लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में पहले ब्रेस्ट मिल्क बैंक के स्थापना की प्रक्रिया चल रही है।

यह उपकरण आएंगे, इनकी होगी तैनाती

डिश वाशर, आटो क्लेव, कंप्यूटर, एयरकंडीशन, एलईडी एवं जनरेटर। सीएलएमसी मैनेजर, टेक्नीशियन, पांच लेक्टेशन सपोर्ट स्टॉफ, हाईजीन हेल्पर।

यह होंगे मुख्य कार्य

  • 50 लाख रुपये से भवन का जीर्णोद्धार।
  • 38 लाख रुपये से पाश्च्यूराइजेशन प्लांट।
  • 21 लाख रुपये से आटोमेटेड मशीन।
  • 12 लाख रुपये से छह इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप।
  • 2.50 लाख रुपये से लेमिनल फ्लो।
  • 2.20 लाख रुपये से चार डीप फ्रीजर।
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