जीएसटी से खत्म जाएगा नंबर-2 का बिजनेसःनितिन गडकरी

केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने कहा कि जीएसटी के जरिए हम अर्थव्यवस्था को नंबर-एक पर ला रहे हैं और इससे बिजनेस में नंबर-दो का काम करने वाले खत्म होंगे. गडकरी जीएसटी कॉन्क्लेव के पांचवें सत्र जीएसटी राइड ऑन टैक्स हाइवे में अंजना ओम कश्यप के सवालों का जवाब दे रहे थे.जीएसटी से खत्म जाएगा नंबर-2 का बिजनेस

गडकरी ने जीएसटी से महंगाई बढ़ने के अंदेशे को खारिज किया और कहा कि जिन चीजों पर 28 फीसदी टैक्स लगा है उनमें पहले ये देखना होगा कि अब तक उन पर 17 टैक्स और 22 फीसदी सेस मिलाकर कुल कितना टैक्स लगता था. अगर दोनों में बहुत ज्यादा अंतर है तभी कहा जा सकता है कि जीएसटी से वो चीज महंगी होगी. गडकरी ने कहा कि हम मीडिया के दबाव में काम नहीं करेंगे, किसी सेक्टर के दबाव में काम नहीं करेंगे. व्यापारी बंधु दो महीने रुकें. अगर तकलीफ आई तो हमारे पास आएं. ये शुरुआत है. हमारी भी अगर कोई गलती होगी तो सुधारेंगे.

गडकरी ने कहा कि राज्यों को पेट्रोल-डीजल और शराब को जीएसटी के दायरे में लाने में दिक्कत है लेकिन मेरा मानना है कि अगर ये चीजें भी जीएसटी के दायरे में आएंगी तो राज्यों को अभी इससे जितना पैसा मिलता है, उससे ज्यादा मिलेगा. गडकरी ने कहा कि जीएसटी के जरिए सरकार ने 17 टैक्स और 22 सेस कैंसिल किए हैं. एक-एक को इंस्पेक्टर तकलीफ देता था, उससे जो राहत मिल रही है उसकी चर्चा कोई नहीं कर रहा. गडकरी ने खाने की पैक्ड चीजों पर टैक्स बढ़ने के मुद्दे पर कहा कि देश का लोअर मिडिल क्लास और लोअर क्लास पैक्ड फूड इस्तेमाल नहीं करता. हायर मिडिल क्लास ही इसका इस्तेमाल करते हैं. इसलिए गरीब आदमी की थाली पर जीएसटी कोई निगेटिव असर डालेगी ऐसा कहना सही नहीं होगा.

गडकरी ने कहा कि हम विदेशी निवेश चाहते हैं लेकिन उन सेक्टरों में चाहते हैं जहां हम खुद नहीं हैं जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर. हमें मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया को भी देखना है और देश की कंपनियों को बढ़ावा देना है जो कि कहीं से भी गलत नहीं है.

कांग्रेस व कुछ अन्य पार्टियों के आज के कार्यक्रम का बहिष्कार करने के मुद्दे पर गडकरी ने कहा कि कुछ बातें सहन भी नहीं होतीं और बोल भी नहीं सकते. हम लोगों ने अच्छा काम किया तो कांग्रेस तारीफ तो कर नहीं सकती. उसे समझना चाहिए कि जीएसटी केवल बीजेपी और एनडीए की देन नहीं है और न ही ये किसी एक पार्टी का एजेंडा है. ये देशहित में है, कुछ लोग राजनीतिक रूप से बेरोजगार हुए हैं इसलिए उनकी मजबूरी है विरोध करना, उन्हें छोड़ देना चाहिए.

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