जिले में पुलियाओं के क्षतिग्रस्त होने से लगभग 42.71 करोड़ रुपए का हुआ नुकसान..

जिले में अतिवृष्टि और बाढ़ से खरीफ की सभी फसलें 100 प्रतिशत नष्ट हो गई हैं। मकान, दुकानें, सड़कें, पुल-पुलियाएं को पहुंची क्षति से नुकसानी का प्रारंभिक आकलन 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किया गया है। लगभग 300 करोड़ रुपए का नुकसान तो 88 मार्ग, सात पुल और 122 पुलियाओं को ही पहुंचा है। आकलन अभी जारी है और नुकसानी का आंकड़ा बढ़ने की संभावना है।

डिगांव-बसई मार्ग और सीतामऊ-चौमहला जैसे महत्वपूर्ण मार्गों पर पुल बहने से दोनों पर यातायात बहाल होने में ही छह माह से ज्यादा का समय लगेगा। सड़क, पुल से जुड़े विभागों का सर्वे लगभग पूरा हो गया है। सड़कों का करीब 79.25 किमी हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है। इससे लगभग 153.42 करोड़ रुपए की क्षति हुई है। डिगांव-बसई, मंदसौर-सीतामऊ, सीतामऊ-चौमहला और पिंडा-गुर्जरबर्डिया मार्ग पर यातायात पूरी तरह से बंद हैं। इन मार्गों पर बने कुल सात पुल भारी वर्षा से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें 113.84 करोड़ रुपए की नुकसान आंका गया है। जिले में पुलियाओं के क्षतिग्रस्त होने से लगभग 42.71 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

3.25 लाख हेक्टेयर में पूरी फसलें तबाह

जिले में औसत 78.6 इंच बरसात हो चुकी है। गरोठ में सबसे ज्यादा 90 इंच और कयामपुर में 89 इंच वर्षा दर्ज की गई। ज्यादा वर्षा और नदियों में आई बाढ़ से 3.25 लाख हेक्टेयर में बोई खरीफ की सभी फसलें बर्बाद हो चुकी है। कृषि विभाग ने भी शत प्रतिशत नुकसानी मानी है। सोयाबीन 2.73 लाख हेक्टेयर, मक्का 23 हजार 800 हेक्टेयर, उड़द 33 हजार 700 हेक्टेयर शामिल हैं। सोयाबीन का उत्पादन बमुश्किल 10 प्रश होने के आसार हैं, वह भी ऊंची जगह के खेतों की वजह से।

गांधीसागर बांध को लेकर अधिकारियों की लापरवाही भी आई सामने

मौसम विभाग के अलर्ट और गांधीसागर बांध के जलभराव क्षेत्रों में लगातार बारिश के बावजूद बांध से संबंधित अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। बांध का जलस्तर 1301 एक फीट पर मेंटेंन रखना था, पर अधिकारियों ने 1312 फीट पर बनाए रखा। इसके चलते लगातार वर्षा से आवक 19 लाख क्यूसेक तक पहुंच गई और इतिहास में पहली बार बांध का जलस्तर 1320 फीट तक पहुंच गया। यह पूर्ण जलभराव 1313 से सात फीट ज्यादा है। इससे पानी बांध के ऊपर से बह निकला और बिजलीघर में घुस गया। टरबाइन, जनरेटर को नुकसान पहुंचा है।

बांध से पानी की निकासी नहीं होने से जिले की सभी नदियां घंटों उफान पर रहीं। इसका असर लगभग 150 गांवों में हुआ। मंदसौर शहर का पानी बाहर निकालने वाले पम्प खराब होने से शहर में 800 मकान और 2 हजार घर 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक 10 से 12 फीट पानी में डूबे रहे।

इनका कहना है

अभी जिले में सर्वे जारी है, लगभग 2 हजार करोड़ रुपए तक की नुकसानी का अनुमान है। किसकी लापरवाही रही और क्या कार्रवाई होना चाहिए, इस पर भी काम करेंगे। प्रभावितों को राहत पहुंचाना प्राथमिकता है।

– मनोज पुष्प, कलेक्टर

जले में अतिवृष्टि और बाढ़ से 3.25 लाख हेक्टेयर में बोई खरीफ की फसलों में शत-प्रतिशत नुकसानी हो सकती है। अभी सर्वे चल रहा है। उत्पादन 10 प्रश तक ही होने के आसार हैं।

-अजीत कुमार राठौर, उप संचालक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग

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