जानिए बदरीनाथ धाम का नाम पड़ने के पीछे क्या है कहानी..
May 26, 2019
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हिंदुओं की आस्था के प्रतीक बदरीनाथ धाम का नाम कैसे पड़ा यह बहुत ही कम लोग जानते हैं। चलिए हम आपको बताते हैं कि धाम के इस नाम के पीछे क्या कहानी है।
मान्यता के अनुसार एक देवी के त्याग के कारण बदरी विशाल के इस धाम का नाम बदरीनाथ रखा गया है। कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु योगध्यान मुद्रा में तपस्या में लीन थे तो बहुत अधिक हिमपात होने लगा। भगवान विष्णु बर्फ में पूरी तरह दब गए थे।
माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को धूप, बारिश और बर्फ से बचाने की कठोर तपस्या में जुट गयीं। जब माता लक्ष्मी से उनकी यह दशा देखी नहीं गई तो मां लक्ष्मी ने एक बेर (बदरी) के पेड़ का रूप लेकर उनके ऊपर ओढ़ा दिया। इससे बर्फबारी को वह अपने उपर ही सहने लगीं।
कई वर्षों बाद जब भगवान विष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा कि लक्ष्मीजी बर्फ से पूरी ढकी हुईं थीं। तब भगवान विष्णु ने कहा कि तुमने भी मेरे ही बराबर तप किया है तो आज से इस धाम पर मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जायेगा। क्योंकि तुमने मेरी रक्षा बदरी वृक्ष के रूप में की है इसलिए आज से मुझे बदरी के नाथ-बदरीनाथ के नाम से जाना जाएगा।
इस तरह से भगवान विष्णु का नाम बदरीनाथ पड़ा। जहां भगवान बदरीनाथ ने तप किया था, वही पवित्र-स्थल आज तप्त-कुण्ड के नाम से विश्व-विख्यात है और उनके तप के रूप में आज भी उस कुण्ड में हर मौसम में गर्म पानी उपलब्ध रहता है।
नर-नारायण पर्वत की गोद में बसा बदरीनाथ धाम नीलकण्ड पर्वत का पार्श्व भाग है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य ने चारों धाम में से एक के रूप में स्थापित किया था। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप।