यहाँ मुसलमान भी करते हैं इस शक्तिपीठ की पूजा

माता की एक झलक पाने के लिए मंदिरों के बाहर भक्तों की लंबी कतारे लगी रहती है और अगर वो मां का शक्तिपीठ है तो उसकी तो बात ही अलग है। वैसे तो माता सभी के दुखों को कम करती हैं, लेकिन एक शक्तिपीठ ऐसा भी है जो हिन्दू मुसलमान के भेदभाव को मिटाती है।यहाँ मुसलमान भी करते हैं इस शक्तिपीठ की पूजा

इस मंदिर में जाने के लिए आपको पाकिस्तान सरकार की इजाजत लेनी पड़ेगी। माता का ये शक्तिपीठ हिंगजाल देवी के नाम से जाना जाता है। जो बलूचिस्तान राज्य में स्थित हैं। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के चक्र से कटकर यहां पर देवी सती का सिर गिरा था। इसलिए यह स्थान चमत्कारी और दिव्य माना जाता है। 
 

पाकिस्तान में देवी हिंगलाज को नानी का मंदिर और नानी का हज भी कहते हैं। इस स्थान पर आकर हिंदू और मुसलमान का भेद भाव मिट जाता है। दोनों ही भक्ति पूर्वक माता की पूजा करते हैं।
 

यहाँ मुसलमान भी करते हैं इस शक्तिपीठ की पूजाब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जो एक बार माता हिंगलाज के दर्शन कर लेता है, उसे पूर्वजन्म के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता है। मान्यता है कि परशुराम जी द्वारा 21 बार क्षत्रियों का अंत किए जाने पर बचे हुए क्षत्रियों ने माता हिंगलाज से प्राण रक्षा की प्रार्थना की। माता ने क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया, इससे परशुराम से इन्हें अभय दान मिल गया।

एक मान्यता यह भी है कि रावण के वध के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने भी हिंगलाज देवी की यात्रा की थी। राम ने यहां पर एक यज्ञ भी किया था। माता हिंगलाज माता वैष्णों की तरह एक गुफा में बैठी हैं। 
 
 
Back to top button