जानिए क्या है शमी वृक्ष का धार्मिक महत्व, कैसे करनी चाहिए इसकी उपासना…
हर वृक्ष और हर पौधा अपने अंदर एक विशेष गुण रखता है. उसकी आकृति, रंग, सुगंध, फल और फूल अलग-अलग प्रभावों के कारण अलग-अलग ग्रहों से सम्बन्ध रखती है. अगर ग्रहों से सम्बंधित पौधे लगाकर उनका ध्यान रखें तथा पूजा उपासना की जाए, तो विशेष लाभ हो सकता है. शनि से सम्बन्ध रखने वाला पौधे का नाम शमी है. शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए और उसकी पीड़ा से मुक्ति के लिए शमी के पौधे का विशेष प्रयोग होता है.
शमी का संबंध शनि से क्यों है और इसका धार्मिक महत्व क्या है-
– माना जाता है कि श्रीराम ने लंका पर आक्रमण के पूर्व इस पौधे की पूजा की थी.
– पांडवों ने अज्ञातवास में अपने सारे अस्त्र-शस्त्र इसी वृक्ष में छुपाए थे. इसलिए इस पौधे को अद्भुत शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है.
– शमी का पौधा किसी भी स्थिति में जीवित रह सकता है.
– अत्यंत शुष्क स्थितियां भी इसको नुकसान नहीं पहुंचा सकती है.
– इसके अंदर छोटे-छोटे कांटे भी पाए जाते हैं, ताकि यह सुरक्षित रहे.
– इसके कठोर गुणों और शांत स्वभाव के कारण इसका संबंध शनि देव से जोड़ा जाता है.
शमी की स्थापना कैसे करें-
– शमी का पौधा विजयादशमी को लगाना सबसे उत्तम होता है.
– शमी को शनिवार के दिन लगा सकते हैं इसे गमले में या भूमि पर घर के मुख्य द्वार के निकट लगाएं, लेकिन इसे घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए.
– प्रातःकाल इसमें जल डालें और प्रयास करें कि यह पौधा सूखने न पाएं.
किस प्रकार शमी के पौधे की उपासना करें कि शनि की पीड़ा से मुक्ति मिले-
– घर में लगाएं हुए शमी के पौधे के नीचे हर शनिवार को दीपक जलाएं.
– यह दीपक सरसों के तेल का होना चाहिए.
– नियमित रूप से इसकी उपासना से शनि की हर प्रकार की पीड़ा का नाश होता है.
– शमी के पत्ते जितना ज्यादा घने होते हैं, उतनी ही घर में धन-संपत्ति और समृद्धि आएगी.
– अगर शनि के कारण स्वास्थ्य या दुर्घटना की समस्या है, तो शमी की लकड़ी को काले धागे में लपेट कर धारण करें.
– शनि की शान्ति के लिए शमी की लकड़ी पर काले तिल से हवन करें.