जानिए, किस लड़की का किया जाता है कुमारी पूजन

10 अक्टूबर से पूरे देशभर में देवी दुर्गा की आराधना का महा पर्व शारदीय नवरात्र शुरू हो चुका है। इस दौरान पूरे नौ दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है, इसके बारे में तो सब जानत हीं हैं। आपको बता दें कि इसके साथ ही इन नौ दिनों में कन्या पूजन का भी महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि कुमारी पूजन शक्ति आराधना का एक अनिवार्य अंग है। इसी लिहाज़ से नवरात्र के दौरान कन्याओं का शक्ति के रूप में षोडशोपचार पूजन किया जाता है।

आइए जानते हैं इससे संबंधित कुछ जानकारी, जिसमें हम आपको बताएंगे कि शास्त्रों के अनुसार किस कन्या का कुमारी पूजन करना चाहिए और इससे क्या लाभ होता है।

शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार छोटी कन्याएं यानि बच्चियों के मन में किसी के प्रति कोई बुरी भावना नहीं होती, उनके मन में कोई स्वार्थ नहीं होता है, इन्हीं कारणों में इन्हें साक्षात देवी का स्वरूप ही माना जाता है। इसमें उम्र के आधार पर कन्याओं को अलग-अलग देवियों का स्वरूप बताया गया है। स्मृति के अनुसार अष्ट वर्षीया बालिका को ‘गौरी’, दस वर्षीया को ‘कन्यका’ और द्वादश वर्षीया को ‘कुमारी’ कहा जाता है।

जानिए नवरात्र में कन्या पूजा से जुड़ी खास बातें
छोटी कन्या की उम्र के आधार पर माता के स्वरूप दो वर्ष की कन्या को कुमारी माना जाता है। बता दें कि एक वर्ष या उससे छोटी कन्याओं की पूजा नहीं करनी चाहिए। एक वर्ष से छोटी कन्याओं का पूजन, इसलिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह प्रसाद नहीं खा सकतीं और उन्हें प्रसाद आदि के स्वाद का ज्ञान नहीं होता।

तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति का स्वरूप मानी जाती है। त्रिमूर्ति यानि दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का स्वरूप। इनके पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

चार वर्ष की कन्या को देवी कल्याणी का रूप माना जाता है। इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है।

पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है। रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।
छह वर्ष की कन्या को मां कालिका का रूप माना जाता है। कालिका रूप की पूजा से विद्या, विजय और राजयोग की प्राप्ति होती है।

सात वर्ष की कन्या को चंडिका माता माना जाता है। इस रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आठ वर्ष की कन्या को शाम्‍भवी कहा जाता है। इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।

नौ वर्ष की कन्या को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है।

दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है।

आपको बता दें नवरात्र में जिस दिन कन्या पूजन करना है, उससे एक दिन पहले ही कन्याओं को अपने घर आमंत्रित कर दें।

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