जानकर खुश हो जाओगे आप गूगल मैप पर दिखेगा कुंभ

 कुंभ 2019 में प्रयाग आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। गूगल मैप में कुंभ मेले की पूरी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है जिसमें कुंभ मेले की हर एक जानकारी होगी और उसे अपलोड किया जाएगा। सॉफ्टवेयर में मेला क्षेत्र की मैपिंग के लिए भारत का सर्वेक्षण (एसओआई) टीम ने मंगलवार को ड्रोन कैमरे से सर्वे किया।

इस दफा कुंभ मेला का क्षेत्रफल ज्यादा है। लगभग 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में मेला बसाने की तैयारी हो रही है। यही नहीं, मेला में लगभग 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जो दुनिया के लगभग 60 देशों की आबादी के बराबर है। गूगल मैप पर कुंभ 2019 मेले की पूरी जानकारी होने के कारण प्रयागराज आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु मेले में भटकने से बचेंगे। हर कोई अपनी लोकेशन गूगल मैप पर देख सकेंगे। इसके लिए सर्वेक्षण टीम ने कार्य शुरू कर दिया है।

कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि मेला क्षेत्र का थ्रीडी मानचित्र और टूडी जीआईएस डेटाबेस नवंबर के अंत तक तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही इलाहाबाद शहर का ब्लू प्रिंट दिसंबर तक तैयार हो जाएगा। इसके बाद इसे गूगल मैप के लिए जारी कर दिया जाएगा। कुंभ मेलाधिकारी ने बताया कि इसके जरिए किसी भी श्रद्धालु को यदि लेटे हनुमान मंदिर जाना है तो वह गूगल मैप के जरिए जा सकता है।

मेला क्षेत्र के किसी अस्पताल अथवा थाना तथा किसी शिविर में जाना है तो भी उसे गूगल मैप से सुविधा मिल सकेगी। इसमें नवीनतम ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके एरियल सर्वेक्षण द्वारा थ्रीडी मैपिंग शामिल है। यह मेला के संगठन के दौरान सड़क, स्वास्थ्य केंद्र, सार्वजनिक उपयोगिताओं, सुरक्षा, भीड़ और आपदा प्रबंधन जैसी सार्वजनिक सेवाओं के लिए आधारभूत संरचना बनाने में मेला प्राधिकरण की सुविधा प्रदान करेगा।

पूर्वी उत्तर प्रदेश भू-स्थानिक डाटा सेंटर लखनऊ के उप निदेशक राजीव कुमार श्रीवास्तव की अगुआई वाली टीम में लेफ्टिनेंट कर्नल पवन कुमार पांडेय, उप सर्वेक्षक जनरल, सर्वेक्षक जनरल ऑफिस, देहरादून शामिल हैं।

एसओआई के कार्य

भारत का सर्वेक्षण (एसओआई) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत देश की राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसी है, जो देश के भौगोलिक सर्वेक्षण और मानचित्रण को पूरा करने के लिए अनिवार्य है। नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट, गंगा नदी के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) डाटाबेस का उत्पादन, नमामि गंगे परियोजना के तहत आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ गंगा (एनएमसीजी) के राष्ट्रीय मिशन द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

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