जरूरी नहीं कि परिवर्तन के लिए एकाएक ही उठाया जाए कोई बड़ा कदम…

जरूरी नहीं कि परिवर्तन के लिए एकाएक ही कोई बड़ा कदम उठाया जाए। छोटे-छोटे प्रयासों से शुरू होने वाली पहल भी अक्सर जनांदोलन का रूप ले लेती है। गोंडा के एक दंपती ने भी एक छोटी सी पहल की। आज उनसे प्रेरित होने वालों की संख्या कम नहीं। बेटी बचाने के साथ ये पति-पत्नी हरियाली बढ़ाने का भी संदेश लोगों को दे रहे हैं।

बलरामपुर जिले के बलुहा निवासी व कन्हैयालाल इंका कर्नलगंज में इतिहास के प्रवक्ता के पद पर तैनात चक्रपाणि पांडेय वर्ष 1991 में अपनी पत्नी शालिनी के साथ गोंडा आए। 2005 में उन्होंने पंतनगर में अपना घर बना लिया और यहीं बस गए। आस-पड़ोस में किसी के घर बेटी की किलकारी गूंजने पर इन्होंने उन्हें पौधा उपहार स्वरूप देना आरंभ किया। न सिर्फ वे पौधा तोहफे में देते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी दिलवाते हैं। बिटिया के बड़े होने के साथ जब पौधा भी बड़ा होता है तो उसे स्वाभाविक रूप से घरवालों का लगाव हो जाता है। इससे पर्यावरण के प्रति उनका थोड़ा सा योगदान भी पूरा होता है। अब तक वे दो सौ से ज्यादा लोगों को तोहफा भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलवा चुके हैं।

ऐसे हुई शुरुआत

शालिनी ने घर पर बागवानी से शुरुआत की। 14 मई 2018 को पुष्प वाटिका के नाम से उसका संचालन शुरू किया। यहां के पौधों की बिक्री से होने वाली आय से वह और पौधे खरीदती हैं जो तोहफे देने के काम आते हैं।

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शिक्षक दंपती का यह प्रयास सराहनीय है। सभी लोग अगर इसी तरह की सोच रखें तो बहुत बदलाव आ सकता है। इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता लाने की आवश्यकता है।

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