जयपुर की इस सीट को लेकर समीकरण में हुआ बदलाव, राठौड़ को मिलेगी कड़ी टक्कर

आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर देश में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव के संपन्न होने के बाद आम चुनावों के लिए दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में बैठकों और फीडबैक की प्रक्रिया जोरों पर हैं. दोनो ही पार्टियां मिशन 2019 के लिए राज्य में टारगेट-25 की रणनीति पर काम कर रही हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद बदले सियासी समीकरण में बीजेपी के लिए अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने में मुश्किल आ सकती है जिसमें उसने राज्य की सभी 25 सीटों पर जीत का परचम लहराया था.जयपुर की इस सीट को लेकर समीकरण में हुआ बदलाव, राठौड़ को मिलेगी कड़ी टक्कर

राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं. मोदी लहर पर सवार पिछला विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीतने वाली बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की सभी सीटों पर कब्जा जमा लिया था. लेकिन 2018 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने अलवर और अजमेर सीट हथिया ली. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य में वापसी की है तो वहीं बीजेपी विपक्ष में बैठने को मजबूर है. लिहाजा 2014 में राज्य में अपने चरम पर रही बीजेपी के लिए राज्य में 2019 की राह उतनी आसान नहीं है. जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

साल 2008 के परिसीमन में जयपुर और अलवर जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट का गठन हुआ. परिसीमन के बाद यहां हुए लोकसभा के दो चुनावों में 1 बार कांग्रेस और 1 बार बीजेपी का कब्जा रहा. परिसीमन के बाद 2009 में इस सीट पर पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने बीजेपी के राव राजेंद्र सिंह को 52,237 वोटों से हराया. लालचंद कटारिया कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी के करीबी माने जाते है और यूपीए सरकार में राज्य मंत्री भी रहें. साल 2014 में भीलवाड़ा का समीकरण गड़बड़ा जाने के बाद कटारिया ने यह सीट सीपी जोशी के लड़ने के लिए छोड़ दी. लेकिन मोदी लहर में कांग्रेस यह सीट बचा नहीं पाई.

साल 2014 में बीजेपी ने इस सीट से पूर्व ओलंपियन और सेना में अधिकारी रहे कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ को टिकट देकर सबको चौंका दिया. पैराशूट उम्मीदवार होने के कारण शुरू में राठौड़ को स्थानीय बीजेपी नेता सतीश पूनिया और राव राजेंद्र सिंह के विरोध का सामना भी करना पड़ा. लेकिन मोदी लहर के आगे यह विरोध काफूर हो गया. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी को 3,32,896 मतों के भारी अंतर से पराजित किया.

साल 2014 में जब लोकसभा के चुनाव हुए थें, तब जयपुर ग्रामीण संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की आठ सीटों में से 5 सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. लेकिन इस बार के सियासी समीकरण इसके ठीक उलट हैं. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी के खाते में महज 2 सीटें आईं. वहीं 1 सीट पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया.

सामाजिक ताना-बाना

जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में जाट, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. जबकि गुर्जर, यादव, मीणा, राजपूत, माली और वैश्य मतदाता भी चुनावी गणित को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं. यहां ढाई से तीन लाख के लगभग जाट और डेढ़ से दो लाख के करीब गुर्जर हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक जयपुर ग्रामीण की जनसंख्या 27,06,261 है जिसका 82.25 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 17.75 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. वहीं कुल आबादी का 15.13 फीसदी अनुसूचित जाति और 8.83 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं.

2014 के आंकड़ों के मुताबिक जयपुर ग्रामीण सीट पर मतदाताओं की संख्या 16,99,462 है, जिसमें 9,06,275 पुरुष और 7,93,187 महिला मतदाता हैं.

हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में जयपुर ग्रामीण लोकसभा की 8 सीटों में जयपुर जिले की कोटपुतली, विराटनगर, झोंटवाड़ा, जामवा रामगढ़ और अलवर जिले की बानसूर सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. जबकि जयपुर जिले की फुलेरा और अम्बर सीट पर बीजेपी जीती. वहीं जयपुर की शाहपुरा सीट पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया.

2014 का जनादेश

साल 2014 में जयपुर ग्रामीण सीट पर बीजेपी ने उम्मीदवार बदलते हुए पूर्व ओलंपियन कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ को टिकट दिया. जबकि यहां से कांग्रेस के सांसद रहे लालचंद कटारिया ने यह सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी के लिए छोड़ दी. लेकिन मोदी लहर में कांग्रेस के हेवीवेट जोशी राठौड़ से यह चुनाव 3,32,896 वोट के भारी अंतर से हार गए. इस चुनाव में राज्यवर्धन राठौड़ को 6,32,930 और सीपी जोशी को 3,00,034 वोट मिले.

गत लोकसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण सीट पर 59 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें बीजेपी को 62.4 फीसदी और कांग्रेस को 29.6 फीसदी वोट मिले. दिलचस्प बात यह रही कांग्रेस और बीजेपी छोड़ यहां सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

48 वर्षीय जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ केंद्र मे सूचना प्रसारण राज्य मंत्री हैं. उनके पास युवा एवं खेल मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी है. राठौड़ का जन्म जैसलमेर में हुआ था. राठौड़ 1990-2013 तक कुल 23 साल भारतीय सेना में तैनात रहें. इस दौरान वे जम्मू-कश्मीर में कई आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में भी शामिल रहें. सेना में रहते हुए राज्यवर्धन राठौड़ ने डबल ट्रैप शूटिंग में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 25 अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते. 2004 के एथेंस ओलंपिक में राठौड़ ने भारत को डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक दिलाया.

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