जम्मू-कश्मीर में संसदीय और विधानसभा चुनावों के लिए शुरू हुई तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट…

जम्मू कश्मीर के छोटे सियासी दल फिर से एकजुट होने लगे हैं। विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने एक बार फिर राज्य में तीसरे मोर्चे के गठन की तैयारी के लिए आपस में संवाद शुरू कर दिया है। इन नेताओं की मानें तो प्रस्तावित तीसरा मोर्चा राज्य के लोगों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, कांग्रेस और भाजपा जैसे दलों की मौजूदगी में एक प्रभावशाली राजनीतिक विकल्प के तौर पर चुनावों से पहले ही सामने आएगा।जम्मू-कश्मीर में संसदीय और विधानसभा चुनावों के लिए शुरू हुई तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट...

पीडीपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर, वर्तमान में डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष, माकपा नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद युसुफ तारीगामी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट पीडीएफ के अध्यक्ष हकीम मोहम्मद यासीन के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा तैयार करने में जुटे हैं। हकीम मोहम्मद यासीन 2002 से 2014 तक लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन सरकार में राहत एवं पुनर्वास मंत्री भी रहे हैं। तीसरे मोर्चे में सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा जम्मू संभाग में भी नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और भाजपा के कुछ नाराज लोगों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है।

हकीम मोहम्मद यासीन ने तीसरे मोर्चे के गठन पर कहा कि हम समान विचारधारा वाले लोगों के साथ जो रियासत की मजबूती और बेहतरी के लिए संकल्पबद्ध हैं और चाहते है कि हमारी रियासत के लोगों को नेकां, पीडीपी समेत अन्य दलों की सियासत से मुक्ति मिले। इसीलिए हम तीसरे मोर्चे के गठन पर चर्चा कर रहे हैं। इस समय हमारी रियासत के लोग एक नया राजनीतिक विकल्प चाहते हैं।

थर्ड फ्रंट के लिए पूरी रियासत में संभावना है। हम उन्हीं लोगों के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं जिनकी राजनीतिक विचारधारा स्पष्ट है और लोगों में उनकी विश्र्वसनीयता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी दोनों ही लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में नाकाम रही हैं। भाजपा सिर्फ एक वर्ग विशेष की पार्टी बनकर रह गई है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के साथ गठजोड़ की संभावना पर उन्होंने कहा कि हम विभिन्न लोगों से बातचीत कर रहे हैं, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस भी इसमें हो सकती है। पूर्व विधायक तारीगामी से भी विचार विमर्श चल रहा है। इसके अलावा कुछ सरकारी सेवा को छोड़ने वाले नौकरशाहों के अलावा कई समाजसेवियों से भी बातचीत हो रही है। हालांकि यह कहना कि तीसरा मोर्चा आज-कल में बन जाएगा तो सही नहीं होगा। लेकिन यह चुनावों से पहले सामने आएगा।

कश्मीर मामलों के जानकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि रियासत में लोग इस समय नेकां, पीडीपी और कांग्रेस और भाजपा से नाराज हैं। इस समय इन दलों के साथ जुड़े कई नेता भी चुनावी मैदान में लोगों के गुस्से से बचने के लिए इनसे नाता तोड़कर गए हैं। और अपने लिए विकल्प तलाश रहे हैं। ऐसे में इन दलों के नेता जो दल-बदल नहीं करना चाहते, बतौर निर्दलीय तीसरे मोर्चे का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ने का विकल्प अपना सकते हैं।

उन्होंने बताया कि तीसरे मोर्चा अगर बनता है तो इसे शाह फैसल जो अभी तक किसी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं बने हैं, भी अपना सकते हैं। इसके अलावा इंजीनियर रशीद और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस भी इसका हिस्सा बन सकते हैं। बीते दिनों सज्जाद गनी लोन ने जिस तरह से धारा 35ए और धारा 370 के संरक्षण के प्रति अपनी संपकल्पबद्धता का एलान किया है और जो कुछ पूर्व विधायक उनके साथ शामिल हुए हैं, भी चाहेंगे कि वह तीसरे मोर्चे का हिस्सा बनें।

Back to top button