जम्मू-कश्मीर के मसले पर कई याचिकाओं को सुनेगा SC, पढ़े पूरी खबर

सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को लेकर मंगलवार को कई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. इन याचिकाओं में अनुच्छेद 370 हटाने के तरीके, घाटी में प्रेस की आज़ादी और बच्चों को हिरासत में लिए जाने वाले मामले शामिल हैं. सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट में ये मसला उठा तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वह सभी मामलों को मंगलवार को सुनेंगे. याचिका दायर करने वाले में लेफ्ट नेता तारिगामी से लेकर पूर्व IAS शाह फैसल तक शामिल हैं.

मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से जुड़ी किन याचिकाओं पर सुनवाई होनी है और ये याचिकाएं किनके द्वारा डाली गई हैं, यहां जानें…

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य का पुनर्गठन करने के खिलाफ कुल 11 याचिकाएं दायर की गई हैं. ये याचिकाएं इन लोगों ने दायर की हैं:

1.    एमवाई तारिगामी

2.    जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस एंड एएंडआर

3.    मुजफ्फर इकबाल खान

4.    शाह फैसल

5.    राधा कुमार

6.    इंदर सलीम

7.    मोहम्मद अकबर लोन

8.    शोएब कुरैशी

9.    शाकिर शब

10.  फारूक अहमद डार

11.  मनोहर लाल शर्मा

इन मुख्य याचिका के अलावा भी सुप्रीम कोर्ट में कई अर्जियां दायर की गई हैं. जिनमें बच्चों को हिरासत में लेने का आरोप लगाया गया है. साथ ही प्रेस की आज़ादी को लेकर सवाल खड़ा किया गया है.

1.    ईनाक्षी गांगुली – नाबालिग बच्चों को हिरासत में लेने का मामला

2.    समीर कौल (नेशनल कॉन्फ्रेंस, प्रवक्ता) – अस्पतालों और फायर सर्विस की सुविधाओं से जुड़ी याचिका

3.    गुलाम नबी आजाद – घाटी में फोन की सुविधाएं शुरू करना, मजदूरों से जुड़ी समस्याओं पर याचिका

4.    अनुराधा बासिन – घाटी में प्रेस की आज़ादी को लेकर याचिका

5.   मोहम्मद अलीम सैयद – कानूनी छात्र की ओर से घाटी में संचार की सुविधाओं को शुरू करने पर याचिका दायर की गई है.

6.   बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका – रिफक भट्ट, आसिफा मुबीन

किस मसले को लेकर हो रहा विरोध?

गौरतलब है कि 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया है. इसके तहत मिलने वाले सभी विशेषाधिकार अब वापस ले लिए गए हैं. इसी के बाद से जम्मू-कश्मीर में कई पाबंदियां लगाई गई हैं. इनमें धारा 144, नेताओं को हिरासत में लिया जाना शामिल है. इस वक्त जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, फारुक अब्दुल्ला सभी नजरबंद हैं. इन्हीं सभी समस्याओं को लेकर लगातार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा रहा है.

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