‘जब माता पार्वती ने दबा द‌िया था भगवान श‌िव का गला’, जान‌िए पूरा वाकया

आपको पता है क‌ि माता पार्वती ने ज‌िस पत‌ि के ल‌िए वर्षों तपस्या क‌ी एक द‌िन उन्हीं माता पार्वती ने भगवान श‌िव का गला भी द‌बाया था। चल‌िए आगे जानते हैं क‌ि क्या है पूरा वाकया…

'जब माता पार्वती ने दबा द‌िया था भगवान श‌िव का गला', जान‌िए पूरा वाकया

दरअसल, समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान श‌िव ने व‌िष पी ल‌िया था तो उसके बाद शिव का कंठ नीला हो गया था। उसी समय उनकी पत्नी माता पार्वती को कुछ नहीं सूझा और उन्होंने श‌िवजी का गला दबाना शुरु कर द‌िया। 

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इस वजह से विष उनके पेट तक नहीं पहुंचा। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा और वर्षों के बाद जाकर वह व‌िष का प्रभाव उनके गले से खत्म हुआ।

 

कहा जाता है क‌ि कई सालों तक ऋषिकेश की एक चोटी पर आराम करने के बाद शिव अपने गले से विष को दूर कर पाए। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। इसके कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। 
 

इसल‌िए इस मंद‌िर की आपने आप में खास एहम‌ियत है। खास तौर पर शिवरात्रि और सावन में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। जानकारी के मुताब‌िक यहां चांदी के बने शिव लिंग का काफी निकटता से दर्शन क‌िए जा सकते हैं। आगामी नौ जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरु होने वाली है।
 

मंदिर में अखंड धूनी जलती रहती है। धुनी की भभूत को लोग प्रसाद के तौर पर लेकर जाते हैं। वहीं कावंड‌िए हरकी पौड़ी से जल लाकर भी यहां भगवान श‌िव का अभ‌िषेक करते हैं। 
 नीलकंठ महादेव मंदिर की नक़्क़ाशी देखते ही बनती है। अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित किया गया है और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए भी दिखलाया गया है। 
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