जब बजरंग बली और अली शब्द को लेकर सियासी मचने लगा घमासान…

आज के समय में जब बजरंग बली और अली शब्द को लेकर सियासी घमासान मचने लगा है, वहां झींझक का मोहल्ला भाईचारा और सौहार्द की मिसाल बन गया है। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के झींझक कस्बे में एक ही परिसर में बजरंगबली का मंदिर और सैयद बाबा की मजार पर पूजा और इबादत की जुगलबंदी सामाजिक समरसता में मिठास घोल रही है। बीते 50 सालों में जब-जब सियासी बयानों ने टकराव के हालात पैदा किए तब-तब यहां के सौहार्द ने आईना दिखाने का काम किया है।

हिंदू चढ़ाते चादर, मुसलमान सुनते सुंदरकांड

बजरंगबली की पूजा और सैयद बाबा की इबादत का अनूठा संगम भले ही लोगों के लिए आश्चर्य का विषय हो, लेकिन स्थानीय लोग धर्म-संप्रदाय से दूर इसे एक सूत्र में पिरोकर देखते हैं। मंगलवार को यहां सुंदरकांड का पाठ सुनते मुस्लिम तो गुरुवार को मजार पर चादर चढ़ाते हिंदू दिख जाएंगे। एक ही परिसर में स्थित बजरंगबली का मंदिर और सैयद बाबा की मजार महज दस मीटर की दूरी पर है।

50 साल से जल रहा सौहार्द की दीपक

वर्ष 1969 में झींझक के बस्ती मुहल्ला निवासी पशु मेला मालिक मान सिंह ने मंदिर का निर्माण कराया था। करीब चार साल बाद मंदिर परिसर में ही मुस्लिम समाज के लोगों ने सैयद बाबा की मजार बना दी। पास में ही भगवान शिव की पिंडी विराजमान है। पशु मेले में सभी धर्मों के लोग पशु बेचने व खरीदने आते थे। सभी मंदिर व मजार में पूजा अर्चना करते थे। चार साल पहले यहां मेला लगना बंद हो गया लेकिन आस्था का दीपक अभी भी जगमगा रहा है।

इस तरह कायम है सौहार्द और भाईचारा

मंगलवार व शनिवार को स्व. मान सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह, शिवनाथ त्रिपाठी, आरपी दीक्षित, अमित दीक्षित आदि सुंदरकांड का पाठ करते हैं, जिसमें वाजिद अली शाह, राजू खां, नवाब पठान आदि भी शामिल होते हैं। गुरुवार को मुस्लिम समाज के लोगों के साथ झींझक के कुलदीप राजपूत, रामजी गुप्ता, सचिन शर्मा आदि मजार पर चादर चढ़ाने आते हैं।

इनका कहना है

  • झींझक के ओम नगर निवासी रामसनेही गुप्ता ने बताया कि देश के हालात कुछ भी रहे हों, कई बार धर्म के नाम पर झगड़े भी हुए। मगर, यहां हिंदू-मुस्लिम एकता हमेशा कायम रही।
  • झींझक के इस्माइल खां का कहना है कि मंदिर और मजार पर दोनों धर्मों के लोग माथा टेकने जाते हैं, जो कस्बा ही नहीं बल्कि जिले के लिए एकता का प्रतीक है।
  • झींझक के अब्दुल खां कहते हैं कि यहां कभी धर्म के नाम पर कोई विवाद नहीं हुआ। मेला परिसर में सभी के सामंजस्य से मंदिर-मजार स्थापित है।
  • झींझक निवासी रमेश राजपूत ने कहा कि यहां बजरंगबली और अली दोनों ही विराजमान हैं। सांप्रदायिक सौहार्द से राजनीतिक दलों को सीख लेनी चाहिए।
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