छात्रवृत्ति घोटाला मामले में पूर्व समाज कल्याण मंत्री ने दी सफाई, कहा- मेरे कार्यकाल का मामला नहीं
वर्ष 2010-11 से लेकर वर्ष 2016-17 के दौरान बांटी गई छात्रवृत्ति को लेकर कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि समाज कल्याण विभाग की इस छात्रवृत्ति योजना की करोड़ों की धनराशि को कतिपय अधिकारियों, सफेदपोश नेताओं, शिक्षण संस्थानों के कर्ताधर्ताओं और बिचौलियों ने ठिकाने लगाने का कार्य किया। एसआईटी इस मामले की जांच कर रही है। उसने तीन मामलों में मुकदमे तक दर्ज कर लिए हैं। इस घोटाले में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्रियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
याचिकाकर्ता रविंद्र जुगरान का कहना है कि पूर्व समाज कल्याण मंत्री भी जवाबदेही से नहीं बच सकते हैं। ‘अमर उजाला’ ने पूर्व समाज कल्याण मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी से इस संबंध में जब पूछा तो ‘उन्होंने कहा, ‘ये उनके कार्यकाल का मामला नहीं है। समाज कल्याण मंत्री के रूप में उनका वर्ष 2015-16 का कार्यकाल रहा।’
यह बात सही है कि वर्ष 2015 में हरीश रावत सरकार में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री सुरेंद्र राकेश के निधन के बाद सुरेंद्र सिंह नेगी को समाज कल्याण मंत्री बनाया गया था। लेकिन उस समय भी छात्रवृत्ति में गड़बड़ी को लेकर खूब सवाल उठ रहे थे। माना जाता है कि नेगी के मंत्रालय की कमान संभालने के बाद भी विभागीय कार्यप्रणाली में कोई खास बदलाव नहीं आया। छात्रवृत्ति आवंटन का खेल जस का तस चलता रहा। हालांकि तत्कालीन सरकार और मंत्री से घोटाले को लेकर शिकायतें भी होती रहीं। लेकिन इन शिकायतों से आंखें मूंद लीं र्गइं। पूर्व समाज कल्याण मंत्री नेगी आज कह रहे हैं कि छात्रवृत्ति घोटाले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की वकालत कर रहे हैं, लेकिन उनसे अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि जब ऐसा करने का अवसर उनके पास था, तब उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की?