छत्तीसगढ़ विधानसभा के संसदीय इतिहास में गुरूवार 16 जनवरी को हुई एक बड़ी घटना…

छत्तीसगढ़ विधानसभा के संसदीय इतिहास में गुरूवार 16 जनवरी को एक बड़ी घटना हुई। जब सदन में राज्यपाल के अभिभाषण का विपक्षी दलों ने बहिष्कार कर दिया। बहिष्कार में भाजपा के साथ-साथ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक शामिल थे। एक दिवसीय सत्र का शुभारंभ होने पर भाजपा के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हमने अभिभाषण पर चर्चा के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया। इसलिए हम विरोध स्वरूप बाहर जा रहे हैं। और भाजपा के सभी विधायक बाहर निकल गए। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि यह गलत परंपरा है। और उनके दल के सभी विधायक भी बहिष्कार कर गए। विपक्ष के बर्हिगमन के बीच राज्यपाल अनुसूईया उइके अपना अभिभाषण पढ़ना शुरू कर दीं।

दरअसल विपक्ष की नाराजगी राज्यपाल के अभिभाषण को दो सत्रों में समाहित किए जाने पर है। विपक्ष ने अपनी दलील में कहा है कि राज्यपाल का अभिभाषण संवैधानिक व्यवस्थाओं के तहत नहीं कराया जा रहा है। एक ही दिन संविधान संशोधन के अनुसमर्थन पर चर्चा होगी और उस दिन ही राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा ये संसदीय परंपरा के अनुरूप नहीं है।

मध्यप्रदेश में दो दिवसीय सत्र, छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं

इधर विपक्ष के विरोध के बीच संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि यह बहिष्कार विपक्ष की राजनीति है। इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा है कि आज सदन की परम्परा टूटी है। हम इसके भागीदार नहीं बन सकते थे। इसलिए हमने राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भी अनुसूचित जाति-जनजाति आरक्षण बढ़ाने लाये जा रहे संशोधन के अनुसमर्थन को लेकर विशेष सत्र बुलाया गया है,वहां दो दिवसीय सत्र आयोजित किया गया है,तब छत्तीसगढ़ में दो दिनों की बैठक क्यों नहीं हो सकती है?

गौरतलब है कि गत रविवार को भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके और विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत से मुलाकात कर इस मसले पर आपत्ति दर्ज कराई थी। भाजपा विधायकों की दलील थी कि 126वें संविधान संशोधन का अनुसमर्थन करने बुलाए जा रहे इस सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी, जबकि मान्य परंपराओं के मुताबिक विपक्ष के सदस्य कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर अपना संशोधन देते हैं। यह कभी नहीं हुआ कि जिस दिन अभिभाषण हुआ हो, उस दिन ही उस पर चर्चा कराई गई हो।

राज्यपाल ने अभिभाषण में यह कहा

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ राज्य के पांचवीं विधानसभा के नववर्ष 2020 में आयोजित प्रथम सत्र के अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने अल्प समय में अपनी उत्कृष्ट कार्यप्रणाली से जो गौरवशाली परम्पराएं स्थापित किए हैं, वह इस विधानसभा के इतिहास में सुनहरे पन्ने के रूप में दर्ज हुई हैं। उन्होंने कहा कि आज इस विधानसभा में आने का मेरा पहला अवसर है, जिसकी सुखद अनुभूति मुझे भावुक भी कर रही है और एक नई ऊर्जा से ऊर्जित भी कर रही हैं।

राज्यपाल ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ विधानसभा की कीर्ति-पताका को ऊंचा करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि आप सब प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने में अपना योगदान पूरे मनोयोग से करें, इसके लिए मेरी शुभकामनाएं।

राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि मेरे लिए यह अत्यंत हर्ष और गौरव का विषय है कि नये वर्ष में छत्तीसगढ़ विधानसभा के कार्यकलापों की शुरूआत एक विशेष अवसर के रूप में हो रही है, जिससे हमें भारत के महान और पावन संविधान के प्रति अगाध निष्ठा, प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने का अवसर मिला है। इससे हमें संविधान के प्रति अपने कर्तव्य निभाने का अवसर मिला है। भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की समय-सीमा बढ़ाये जाने के लिए जो निर्धारित प्रक्रिया है, उसे पूरा करने में भागीदारी दर्ज होना सौभाग्य का विषय है।

राज्यपाल ने कहा कि मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरी सरकार ने छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्गों को बेहतर जिन्दगी दी है। इन वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और इन्हें संविधान प्रदत्त अधिकारों से सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता ने सरकार के प्रति विश्वास के एक नये युग की शुरूआत की है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा अपनी परम्परा के अनुरूप लोकतंत्र को और अधिक मजबूत बनाने की चुनौती स्वीकार करेगी। राज्यपाल ने कहा कि सबकी सक्रियता और योगदान से ही लोकतंत्र का यह मंदिर जनता जनार्दन की आकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होगा।

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