गुजरात चुनाव से ठीक पहले RSS संघ को आई राम की याद

गुजरात चुनाव से ठीक पहले संघ को भगवान राम की याद आई है। राम मंदिर पर आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर की पहल विफल होने के दो दिन बाद संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने राम को राष्ट्रीयता का प्रतीक बताते हुए राम मंदिर के समर्थन को सच्ची राष्ट्रभावना बताया है। शनिवार को राजस्थान के अजमेर में दीन दयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित दीन दयाल स्मृति व्याख्यान में ‘वर्तमान संदर्भ में भू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ के विषय पर बालेते हुए संघ सरकार्यवाह ने कहा कि हिंदू शब्द को संकीर्ण सांप्रदायिकता के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए। भारतीय राष्ट्रवाद के साथ हिंदू शब्द शुरू से ही जुड़ा हुआ है। भारत को समझने के लिए संस्कृत पढ़ने पर जोर देते हुए भैय्याजी जोशी ने कहा कि अगर भारत को समझना है तो संस्कृत को पढ़ना और समझना होगा। बिना संस्कृत पढ़े और समझे भारत को समझा जाना संभव नहीं है।
गुजरात चुनाव से ठीक पहले RSS संघ को आई राम की यादमुस्लिमों को नसीहत, राम ही राष्ट्र के प्रतीक 
अयोध्या के विवादित बाबरी ढ़ांचे को ढहाने की घटना का जिक्र करते हुए संघ के सरकार्यवाह ने देश के मुस्लमानों के नाम संदेश देते हुए कहा कि राम ही देश के प्रतिक हैं। भैय्या जोशी ने कहा कि बाबरी ढांचे को ढहाने के लिए जब हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे, तो रास्ते में उन्होंने किसी भी धर्म स्थल पर पत्थर नहीं फेंका और न किसी को नुकसान पहुंचाया था। उनका उद्देश्य एक बाहरी आक्रमणकारी द्वारा स्थापित एक मस्जिद जो की मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी उसको हटाना था। इसमें किसी भी प्रकार से इस्लाम का विरोध नहीं था।

संघ सरकार्यवाह ने कहा कि देश में निवास करने वाले मुस्लिम धर्म वालों को भी यह समझना होगा कि भगवान राम ही राष्ट्रीयता का प्रतिक हैं और रहेंगे। जोशी ने यह भी कहा कि राष्ट्रवाद को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की संकल्पना में बांट दिया गया है। यह कट्टरता की भावना पैदा करता है जबकि वसुदेव कुटुंबकम को मानने वाला यह देश पूरे विश्व की कल्याण की बात करता है। विश्व एक है की संकल्पना पूरे विश्व में केवल भारतीय ही करते हैं और करते रहेंगे।

सह सरकार्यवाह मदन दास देवी भी थे मौजूद

कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी के अलावा सह सरकार्यवाह मदन दास देवी, दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डा. महेश चंद शर्मा संस्थान के महासचिव अतुल जैन के अलावा शहर के तमाम प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। दीन दयाल के एकात्म मानववाद को लेकर हुए इस आयोजन में राम मंदिर और राम की चर्चा को गुजरात विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। 
पटेल आंदोलन और जीएसटी के वजह से भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए भगवा परिवार इस कवायद में है कि चुनाव जाति या विकास के मुद्दे से हटकर धर्म के मुद्दे पर चला जाए। ताकि ध्रुविकरण के बदौलत भाजपा की चुनावी नैय्या पार हो सके। 

अचानक राम के नाम को संघ परिवार की ओर से बार-बार उठाए जाने को गुजरात के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। चंद दिनों पहले ही श्रीश्री रविशंकर मामले में अयोध्या से लौटे हैं। लेकिन बातचीत के जरिए मसले के समाधान की उनकी मुहिम को ताकत नहीं मिली। उनके प्रयास को भी परदे के पीछे से सरकार की कवायद मानी जा रही है। वर्ना मामले को जल्दी निपटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में 5 दिसंबर से मामले की रोजाना सुनवाई होनी है। ऐसे में श्रीश्री का मामले में पड़ना सीधे-सीधे चुनाव से जोड़कर देखा गया। अब संघ ने भी मुद्दे को दोबारा से हवा दे दी है।

 
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