चंद्रयान-2 मिशन की चांद पर उड़ान भरने की शुरुआत ऐसा इत्तफाक, जानिए क्‍या कहते हैं एरीज के वैज्ञानिक

नील आर्मस्ट्रांग के चांद पर पहला कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ और भारतीय चंद्रयान-2 मिशन की चांद पर उड़ान भरने की शुरुआत ऐसा इत्तफाक है, जो चांद की दुनिया में इंसानी घर बसाने का महत्वपूर्ण कदम होगा। इसरो के इस मिशन की सराहना करते हुए एरीज के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मिशन चांद की धरती का वातावरण, रेडिएशन, धरातल व बर्फ में पानी व खनिज पदार्थों की तलाश कर वहां जीवन बसाने की दिशा में नई राह दिखाएगा।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के निदेशक डॉ. बहाबउद्दीन का कहना कि किसी भी दूसरे ग्रह पर जीवनयोग्य मूूलभूत आवश्यकताओं का होना बेहद जरूरी है, जिनमें पानी, आक्सीजन, वातावरण और पृथ्वी के समान ठोस सतह आदि सुविधाएं शामिल हैं। 2008 में भेजे गए चंद्रयान-एक ने चांद की धरती पर पानी की तलाश कर दुनिया के वैज्ञानिकों को चंद्रमा का रूख करने को मजबूर कर दिया। हालांकि चांद पर चढऩे का सफर 1959 से शुरू हो चुका था। रूस व अमेरिका लूनर व अपोलो जैसे मिशन गवाह हैं, जो मानव को चांद के करीब लाते चले गए, लेकिन भारतीय मिशन चंद्रयान-दो अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैै। इस मिशन की सफलता तय करेगी कि वहां जीवन बसाने की राह कैसे संभव हो सकेगी। एरीज के डॉ. शशिभूषण पांडे का कहना है कि प्लनेटरी साइंस की दिशा में इसरो का प्रयास नए आयाम लाने वाला साबित होगा। चांद पर पहला कदम रख इतिहास रचने वाले नील आर्मस्‍ट्रांग से लेकर वर्तमान तक चांद के बारे में मिली जानकारियों को विद्यार्थियों के बीच बांटते आए हैं, परंतु इसके बारे में आगे बहुत कुछ जानना व समझना अभी बाकी है। चंद्रयान द्वितीय मिशन हमारी जिज्ञासाओं को काफी हद तक अवश्य दूर करेगा। इस मिशन की कामयाबी लाल ग्रह मंगल की दुनिया में भी रोशनी डालेगी।

नजदीकी के कारण आसान है चांद की राह

चांद पृथ्वी से औसतन 3.86 लाख किमी दूर है। इस नजदीकी के कारण चांद का  अध्ययन वैज्ञानिकों के लिए अन्य ग्रहों की तुलना में आसान है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद ही एकमात्र वह ग्रह है, जो अन्य सौरमंडल के अन्य ग्रहों को समझने के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। यही कारण है कि दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियां चांद पर सर्वाधिक अध्ययन कर चुकी हैं और भविष्य के लिए भी कई मिशन तैयार हैं।

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