कहीं एक ही गैंग तो नहींपिछले साल 12 दिसंबर की घटना और इस साल 24 मार्च की वारदात के आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। कहीं न कहीं शक गहराता है कि सामूहिक दुराचार एक ही गैंग का काम तो नहीं? 12 दिसंबर की घटना में पकड़े ऑटो चालक ने कहा था कि वह दो अन्य युवकों को नहीं जानता, लेकिन यह बयान सवालिया निशान लगाता है पुलिस की थ्योरी पर। क्योंकि सामूहिक दुराचार का एक आरोपी पकड़ लिया तो बाकी आरोपियों को पकड़ने में इतनी लापरवाही कैसे बरती जा रही है।