गृहनिर्माण या गृहप्रवेश के लिए कुछ ख़ास टिप्स, जानिए
गृहनिर्माण की शुरुआत हो या फिर गृहप्रवेश करना हो ये बहुत ही शुभ काम माने जाते है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक गृहनिर्माण करते समय पूजा का स्थान हमेशा उत्तर-पूर्व की ओर ही होना चाहिए।
व्यक्ति को अपने घर का निर्माण करने से पहले हमेशा वास्तु विशेषज्ञ की सहायता लेनी चाहिए। जिससे उसके इस कार्य को सही दिशा मिल सके व उसके कार्य में कोई वाधा न उत्पन्न हो .आने वाले जीवन व भविष्य में गृह से सम्बंधित किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े .
आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की जब भी आप यह दोनों शुभकार्य करने का मन बनाते है. तो पंचांग में पांच कर्मों नक्षत्र, तिथि, योग, कर्म देखकर ही निर्णय लेना चाहिए। यदि आप पंचांग को नहीं समझ पा रहे है. तो किसी पंडित या ज्ञानी व्यक्ति से सलाह ले सकते है. पंचांक में दिए गए नियमो का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए.यह इसलिए क्योंकि नक्षत्र के अनुसार हर समय योग अलग अलग बनते है.
हर कार्य का अपना एक अलग अलग मुहूर्त होता है जिसका ध्यान देना चाहिए . ये सब चंद्रमा के घटने-बढ़ने के अनुसार बदलते रहते हैं। किसी भी कार्य के लिए कौन सा नक्षत्र शुभ है या अशुभ यह भवन निर्माता व्यक्ति के जन्म नक्षत्र पर भी निर्भर करता है। इस तरह वह तिथी, योग, कर्म आदि का भी निर्धारण किया जा सकता है.
शुभ मुहूर्त के लिए उस जगह का जहां आप निर्माण कार्य या निवास करना चाहते है की भौगोलिक स्थितियों को जानना जरूरी होता है। सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार के दिन गृहप्रवेश करना बहुत ही शुभ माना गया है रविवार और मंगलवार का दिन भवन निर्माण और गृहप्रवेश के लिए शुभ नहीं हैं। किसी भी शुभ वार में यदि शुक्लपक्ष का समावेश हो यानी उस वार में शुक्लपक्ष पड़ रहा हो तो यह ओर भी शुभ मुहूर्त हो जाता है। शुक्लपक्ष में एक शुभ मुहूर्त माना जाता है।
यदि आप गृहप्रवेश कर रहे हैं तो आपको वास्तु पूजा करवान बहुत ही जरूरी होता है।इससे आपके गृह में शांति सम्पन्नता और संवृद्धि आती है और देवता भी प्रसन्न हो जाते है वास्तु पूजा करने पर घर में कभी भी नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है। हमेशा आपकी शारीरिक व मानसिक शक्ति बनी रहती है।