गुुरु श्री नानकदेव के 550वें प्रकाश उत्‍सव पर नानक नगरी में उमड़ पड़ा संगतों का सैलाब

चारों ओर आस्‍था और श्रद्धा का अपार सैलाब। चहुं ओर गुरु की वाणी जैसे गूंज रही है। ऐसा लगता है गुरु श्री नानकदेव जी आशीष से लाखाें की संख्‍या में उमड़े श्रद्धालुओं को निहाल कर रहे हैं और सन्‍मार्ग दिखा रहे हैं। गुुरु श्री नानकदेव के 550वें प्रकाश उत्‍सव पर नानक नगरी में संगतों का सैलाब उमड़ पड़ा है। पूरे सुल्‍तानपुर लोधी को बहुत सुंदर तरीके से सजाया गया है। देश और विदेश से लाखों की संख्‍या में श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं।

राष्‍ट्रपति कोविंद भी पहुंचेंगे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आने की भी संभावना

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद भी आज यहां पहुंचेंगे और गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में माथा टेंकेंगे। वह यहां आयाेजित कार्यक्रम में भाग लेंगे। राज्य सरकार कार्यक्रम की मेजबानी करेगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी आने की उम्मीद है। सुल्‍तानपुर में तड़के से ही संगतों का मेला लगा हुआ है। इसमें हर उम्र और वर्ग के श्रद्धालु हैं। यहां पहुंचे लोग नानक की नगरी में आकर खुद को धन्‍य समझ रहे हैं।

आस्था का सैलाब, किसी को किसी की बात सुनना हुआ मुश्किल

गुरुद्वारा श्री बेर साहिब का नजारा तो बेहत निराला है। यहां सुखमनप्रीत को बेर के वृक्ष के नीचे गिरा हुआ कच्चा बेर मिल गया है। उसने उठाया और खा लिया। वह खुशी से फूली नहीं समा रही है। फाजिल्का से अपने परिवार और गली के अन्य परिचितों के साथ श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर वह सुल्तानपुर लोधी के गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में मत्था टेकने के लिए आई है। उसके साथ आए लोग भी खुश हैं। उन्हें लगता है कि बाबा नानक की उस पर कृपा हुई है, इसीलिए उसे बेर मिला है।

ऐसी मान्यता केवल सुखमनप्रीत व उसके साथ आए लोगों की नहीं है बल्कि तमाम उन लोगों की भी है जो गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेकने के बाद भौरे के बाहर लगी इस बेरी का दर्शन करने आते हैं। यहां भी उतनी ही भीड़ लगी है जितनी गुरुद्वारा साहिब में दर्शनों के लिए लगी हुई है। ज्यादातर लोग सुखमनप्रीत की तरह खुशकिस्मत नहीं हैं कि उन्हें भी टूटकर गिरा हुआ बेर मिल जाए। वह खुद तोडऩे का प्रयास करते हैं तो वहां लगे चार से पांच सेवादार उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं।

सेवादार गुरप्रीत कह रहेे हैं- माता जी, आप को पढऩा आता है न, ये देखो जगह-जगह लिखा है कि बेरी के पत्ते, बेर और टहनियां तोडऩा मना है। फिर क्यों नहीं सुनते आप लोग, रब के वास्ते ऐसा न करो। पर आस्था कहां किसी की सुनती है। माता गुरप्रीत से कह रही हैं- वे पुत बस एक बेर तोड़ लेने दे, बहुत दूर से आई हूं। वह मिन्नतें कर रही हैं। सेवादार कहता है- माता जी आप क्यों बेरी को खराब कर रहे हो? वह उन्हें बेरी की दूसरी साइड दिखाता है जहां सारे पत्ते झड़ चुके हैं।

दरअसल बेर के पेड़ की शाखाएं लोगों की पहुंच में हैं, इसलिए सीढिय़ां चढ़ते हुए लोग पत्ते, टहनियां और बेर जिसके जो हाथ लगे, तोड़ रहे हैं। सेवादार फतेहवीर से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- महिलाओं में आस्था ज्यादा है। ऐसा क्यों है, मुझे इस बारे में ज्यादा पता नहीं है। करनाल से आए गुरचरन सिंह को बेरी का टूटा हुआ पत्ता और टहनी दोनों मिल गए हैं। वह कहते हैं कि इसे अपने पास रखना अच्छा होता है।

तरनतारन जिले के गांव कैरों निवासी एक अन्य सेवादार ने बताया कि यह तो अपने-अपने विश्वास की बात है। बेर का यह वृक्ष भी तो खास है। सभी बेरियां मार्च में ज्यादा फल देती हैं और सिर्फ तीन महीने फल मिलता है, लेकिन यह बेरी 12 महीने फल देती है। कहते हैं कि गुरु नानक साहिब पास ही बहती काली बेईं (नदी) में स्नान करके यहां पर तप किया करते थे और उन्होंने ही बेरी की दातून करके यहां दबाई थी। आज देखिए 550 साल बाद भी यह खड़ी है और फल दे रही है।

पत्तों को हाथ लगा ही होते हैैं संतुष्ट

जिन लोगों को बेर नहीं मिलता वह बेरी के पत्तों को ही हाथ लगाकर संतुष्ट हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि उनका यहां आना सफल हो गया है। सेवादार चाहे उन्हें कितना भी रोकते रहें, लेकिन वे किसी की नहीं सुनते। आखिर उनका इस बेरी को लेकर अपना विश्वास है।

अंत तक नहीं आए बड़े धार्मिक गुरु, बनी रही दुविधा

श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव में पंजाब सरकार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अलग-अलग स्टेज के विवाद ने कई बड़े धार्मिक गुरुओं को भी दुविधा में डाले रखा। आज पूरी दुनिया में श्री गुुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है और सुल्तानपुर लोधी में दो-दो स्टेज लगाई गई हैं। वैसे तो अन्य पार्टियां और दल भी अपनी-अपनी स्टेज लगाएंगे, लेकिन प्रमुख तौर पर दो ही स्टेज लगेंगी। एक पंजाब सरकार की और दूसरी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की।

दोनों पक्ष एक स्टेज लगाने के फैसले पर एकमत नहीं हुए। सरकार और एसजीपीसी के इस रवैये का असर उन बड़े धार्मिक गुरुओं पर भी हुआ है, जिन्हें दोनों पक्षों ने अपने-अपने यहां आने का न्योता दिया था। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इससे अछूते नहीं रहे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी किस की स्टेज पर आएंगे यह भी अभी तय नहीं है। सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने भी आना था, लेकिन यह प्रोग्राम रद हो गया। जो हस्तियां आ भी रही हैं, वे भी केवल गुरुद्वारा साहिब में माथा टेककर वापस जा रही हैं।

गौरतलब है कि समारोह शुरू होने से पहले दोनों पक्षों ने दावा किया था कि सभी बड़े धार्मिक गुरुओं को न्योता दिया गया है। पोप, दलाईलामा, आदि गुरु शंकराचार्य, श्री श्री रविशंकर और जामा मस्जिद के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया था। दावा किया गया था कि वे उनके सम्मेलन में आ रहे हैं, लेकिन अंत तक यह फाइनल नहीं हो सका कि मुख्य स्टेज कौन लगाएगा? लिहाजा इस दुविधा के चलते बड़े धार्मिक गुरु सम्मेलन में नहीं आए। गौरतलब है कि जब खालसा पंथ का 300 साला समारोह श्री आनंदपुर साहिब में मनाया गया था तो सभी बड़े धार्मिक गुुरुओं ने सम्मेलन में हाजिरी लगाई थी।

एक स्टेज पर नहीं बनी सहमति

गौरतलब है कि एक संयुक्त स्टेज को लेकर सरकार और एसजीपीसी दोनों में लंबे समय तक बहस और बैठकों का दौर चला। यहां तक कि जब कोई फैसला नहीं हुआ, तो श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने निर्देश दिए कि मुख्य स्टेज एसजीपीसी की ओर से लगाई जाएगी, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई और पार्टी और संस्था भी अपनी स्टेज लगाना चाहती है, तो उसे ऐसा करने की छूट है, लेकिन किसी भी स्टेज पर पॉलिटिकल बातें नहीं होंगी केवल श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का ही प्रचार होगा।

पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव विकास प्रताप सिंह ने बताया कि अमृतसर में गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की ओर से सर्व-धर्म सम्मेलन करवाया गया था, जिसमें दलाई लामा भी पहुंचे थे। पोप के बारे में उन्होंने कहा कि पोप के आने की कन्फर्मेशन पहले ही नहीं आई थी।

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