गहलोत सरकार ने तीर्थ यात्रा योजना से हटाया पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम….

सरकारी परिपत्रों एवं लेटरपैड से जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की फोटो हटाने के बाद अब राजस्थान सरकार की वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना से भी उनका नाम हटा दिया गया है। पिछली वसुंधरा राजे सरकार की योजनाओं के नाम बदलने अथवा समीक्षा में जुटी गहलोत सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना के आगे से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटा दिया है । इस योजना का नाम एक बार फिर से मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया गया है। भाजपा ने गहलोत सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नाम बदलने के स्थान पर सरकार को काम करके दिखाना चाहिए।

गहलोत ने पिछले कार्यकाल में शुरू की थी योजना

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में 60 वर्ष से अधिक उम्र के वृद्धों को देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा कराने की योजना शुरू की थी। इसमें रेल और हवाई यात्रा के माध्यम से बुजुर्ग धार्मिक स्थलों के दर्शन करें, इसका प्रावधान किया था। उस समय इस योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना’ था, लेकिन 2013 में वसुंधरा राजे सरकार ने इस योजना के नाम के आगे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम लगा दिया था। उस समय कांग्रेस ने नाराजगी जताई थी। इस योजना में यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है और फिर लॉटरी के माध्यम से यात्रियों का चयन होता है। इस योजना के तहत जग्गनाथपुरी, रामेश्वरम, वैष्णोदवी, तिरुपति बालाजी, सम्मेद शिखर, द्वारिकापुरी, बिहार शरीफ, अमृतसर, शिरडी एवं काशी यात्रा कराई जाती है।

सरकार ने कहा पहले ही नाम बदला गलत था, भाजपा को आपत्ति

राज्य सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल और उच्च शिक्षामंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि तत्कालीन गहलोत सरकार ने कांग्रेस के किसी भी नेता के नाम से यह यात्रा शुरू नहीं की थी। लेकिन वसुंधरा राजे ने आरएसएस को खुश करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम इसके साथ जोड़ा गया जो गलत था, अब उस गलती को सुधारा गया है। उधर, पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा विधायक जोगेश्वर गर्ग का कहना है कि सरकार को नाम नाम हटाने या जोड़ने के स्थान पर विकास के कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इससे पहले गहलोत सरकार ने जमीनों के पट्टों के ऊपर से दीनदयाल उपाध्याय का लोगो हटाया गया था। सरकार ने फैसला किया था कि किसी भी सरकारी लेटर पैड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय का लोगो नहीं छापा जाएगा। वसुंधरा सरकार ने अपने कार्यकाल में सरकारी पत्र व्यवहार में अशोक स्तंभ के साथ साथ दीनदयाल का लोगो लगाने का आदेश जारी किया था। 

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