गरम मसालों का सेवन पड़ सकता है सेहत पर भारी, जानें नुकसान और फायदे
काला मिर्च कफ और वात का शमन करती है। इससे पित्त बढ़ता है। काली मिर्च का तासीर गर्म होता है। इसके अलावा पीपल स्नायुतंत्र को ठीक बनाए रखने के लिए बहुत उपयोगी होती है। आयुर्वेदिक पाक कला में इन मसालों को उपयोग करना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए सभी मसालों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
पीपल
पीपल दो तरीके की होती है। एक मोटी और दूसरी लंबी और पतली होती है। छोटी या पतली किस्म की पीपल से मोटी पीपल दोगुना मोटी होती है। पतली पीपल दानेदार दिखने में लगती है। पीपल की लता होती है। जिसके पत्ते हार्ट के आकार के होते हैं। पीपल का पका हुआ फल लाल और सूखने पर भूरे रंग का हो जाता है। पीपल अधिक तीखी नहीं होती है।
काली मिर्च
हर जगह काली मिर्च समान्य मसाले के रूप में मिलती है। काली मिर्च की बेल होती है। जिसके बड़े पत्ते होते हैं। इसमें छोटी-छोटी जड़े भी होती हैं। जो पेड़ में जमकर के उसे ऊपर ले जाती है। इसके फल और फूल गुच्छों के रूप में आते हैं। जो कि कच्चे होने पर हरे कलर के होते हैं। पकने के बाद में ये काले कलर के हो जाते हैं। गोल या सफेद मिर्च इसी से बनती है। इस मिर्च को पानी में भिगोने के बाद इसका छिलका उतार दें। तो ये मिर्च सफेद मिर्च हो जाती है। इसके अलावा छिलका उतरने के बाद इसका तीखापन थोड़ा सा काम हो जाता है।