खूबसूरत होने के साथ ही एडवेंचर से भरपूर है इस जगह का सफर…

हिमाचल प्रदेश के मंडी गांव के पराशर झील को देखने का अपना ही अलग एहसास और एक्सपीरिएंस है। समुद्र तल से 2730 मीटर की ऊंचाई पर मण्डी से 50 किमी. की दूरी पर उत्तर-पूर्व दिशा में बसी यह झील पराशर ऋषि को समर्पित है। कहते हैं इसका निर्माण तब हुआ जब पराशर ऋषि ने जमीन पर अपना गुर्ज दे मारा था। मिट्टी का एक बड़ा वृताकार टुकड़ा झील के ऊपर एक कोने से दूसरे कोने में तैरता रहता है। इसकी मौजूदगी झील की खूबसूरती में और भी निखार ले आती है।

ऋषि पराशर मंदिर

झील के साथ ही है तीन मंजिला ऋषि पराशर का पैगोड़ा शैली में बना सुंदर मंदिर। कहा जाता है कि इतने बड़े मंदिर को देवदार के सिर्फ एक ही पेड़ से बनाया गया है। लेकिन यहां दर्शन करने का मौका सिर्फ गर्मियों में ही मिलता है। तीन मंजिला इस मंदिर की भव्यता का अंदाजा तो आपको यहां आकर देखने पर ही पता चलेगा। मंदिर के बाहरी और स्तंभों की नक्काशी काबिलेतारीफ है। जो उस दौरान कला के अद्भुत नमूने पेश करते हैं। मंदिर में मानी गई हर एक मुराद पूरी होती है ऐसा लोगों का मानना है।

एडवेंचर से भरा है पराशर लेक पराशर झील एक पसंदीदा पिकनिक स्पाट भी है। ट्रैकर्स की भीड़ तो यहां सालभर देखने को मिलती है। सर्दियों में यहां की ट्रैकिंग बहुत ही एडवेंचरस होती है। उस दौरान पराशर झील पूरी तरह से जम जाती है। यहां एक विश्रामगृह भी है, जहां आप रुककर तसल्ली से इन हसीन वादियों का नजारा अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं।

कब आएं

अगर आप बर्फ से सजा पराशर लेक देखना चाहते हैं तो दिसंबर से फरवरी के बीच यहां आने का प्लान बनाएं। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने झील के ऊपर और आसपास बर्फ की चादर बिछा रखी है। अप्रैल से मई महीने में भी यहां आकर जमकर मस्ती कर सकते हैं। मानसून के महीने में यहां आने की प्लानिंग बिल्कुल भी न करें।

कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग- भुंतर यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है।

रेल मार्ग- चंडीगढ़, यहां का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। इसके बाद बस से 6-7 घंटे का सफर तय करके आप मंडी पहुंचते हैं। फिर वहां से पराशर का ट्रैक शुरू होता है।

सड़क मार्ग- अगर आप सड़क मार्ग से आ रहे हैं तो कुल्लू-मनाली के लिए बस लेनी पड़ेगी जो मंडी होते हुए आगे जाती है। मंडी से जीप हायर करके बागी गांव पहुंचते हैं। बागी के आगे बस की सुविधा नहीं मिलती। यहां से झील की दूरी 7 किमी है।  

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