खून के आंसू रोने को मजबूर UP का ये गांव, एक तरफ डाकू का खौफ- दूजी ओर पुलिस का जुल्मो-सितम

इस गांव का दर्द भला कौन समझेगा… यहां के भोले-भाले लोग एक तरफ एक कुख्यात डाकू के खौफ के साएं में जीने को मजबूर हैं तो दूसरी ओर पुलिस भी इन पर जुल्मों-सितम ढहाने में लग गई है। यूपी का यह छोटा सा गांव खून के आंसू रोने को मजबूर हो गया है…. 
खून के आंसू रोने को मजबूर UP का ये गांव, एक तरफ डाकू का खौफ- दूजी ओर पुलिस का जुल्मो-सितम

डकैत और पुलिस की लड़ाई में गांव वाले बेहाल

चित्रकूट में यूपी के कुख्यात डकैत बबुली कोल और पुलिस की लड़ाई में गांव वालों का मरना आ गया है। इसकी गवाही दे रहा है यूपी का गांव ‘नागर’… ये गांव दोनों ओर से घिरा हुआ है। मुसीबत ऐसी है कि जी का जंजाल नजर आ रहा है। किसी को समझ नहीं आ रहा कि जाएं तो आखिर जाएं कहां… 

ये भी पढ़े: अख‌िलेश ने मारा मौके पर चौका, अपनी तस्वीर लगे बैग गुजरात में बंटने पर ये बोले

पांच लाख तीस हजार के इनामी डकैत बबुली कोल को पकड़ने के लिए मंगलवार की शाम चित्रकूट पुलिस ने घेराबंदी की। दोनों ओर से ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। घंटों ये सिलसिला जारी रहा और आखिर में डकैत बबुली कोल अपने गुट के साथ भागने में कामयाब रहा। पीछे से पुलिस हाथ मलती रह गई।

ऐसी मुठभेड़ पहले भी होती रही है लेकिन डाकू हर बार बच निकलने में कामयाब रहता है। कल तक यह कहा जा रहा था कि डाकू चारों ओर से घिर गया है और उसका बचकर निकलना बेहद मुश्किल है। इस घटना से यह बात निराधार साबित हो गई। बड़ा सवाल ये है कि डाकू आखिर बचकर कैसे निकला..?  

नाकामी का ठीकरा गांव वालों पर

अपनी नाकामी का ठीकरा पुलिस गांव वालों पर फोड़ना चाह रही है। इसलिए मंगलवार रात ही पुलिस ने मानिकपुर के नागर में पूछताछ के दौरान न केवल ग्राम प्रधान चुन्नी देवी से मारपीट की बल्कि गांव के ही प्रचून की दुकान विक्रेता भोला को बुरी तरह मारा-पीटा।

पुलिस की नाकामी का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ था, इसके लिए बाद में एक चंपा नामक महिला पर निराधार आरोप लगाते हुए जबरन घंसीटा गया। बावजूद उसकी पुलिस को गांव वालों से कुछ जानकारी नहीं मिली।  

पुलिस का आरोप है इसी गांव के लोग डाकुओं को संरक्षण दे रहे हैं। इसलिए कुख्यात डकैत बबुली इतनी मुठभेड़ों के बाद भी जान बचाकर भागने में कामयाब रहा है। वहीं गांव वालों का कहना है कि पुलिस ऐसा करके अपनी नाकामी पर पर्दा डाल रही है। गांव वालों ने बताया मंगलवार देर रात पुलिस ने गांव पहुंचकर लोगों से मारपीट की।

झूठे आरोप में एक बेकसूर को जेल भेजा

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी हाल ही में नागर गांव के ही विनोद कोल नामक शख्स को पुलिस ने यह आरोप लगाकर जेल भेज दिया वह डकैतों को सरंक्षण देते था। जबकि गांव वालों की बातों से ऐसा लग रहा है कि वह बिल्कुल बेकसूर है। इस पूरे घटनाक्रम में सच सामने आना अभी भी बांकी है।  

पुलिस की मारपीट के अगली सवेरे बुधवार को ग्रामीण अपने ऊपर हुए अत्याचार की जन-शिकायत लेकर चित्रकूट मुख्यालय पहुंचे। यहां वे जीएम से मिले। उन्होंने इस मामले में ग्रामीणों को पुलिस अधिक्षक से मिलने के लिए कह दिया और साथ में यह कहा कि वहीं आपकी सुनवाई होगी।

मामले को लेकर एसपी और सांसद के बीच नौंक-झौंक

इसके बाद ग्रामीण एसपी से मिलने पहुंचे तो वहां से भी उन्हें ये कहकर टरका दिया गया कि आप लोग कालूपुर कार्यालय पहुंचिए वहीं आप लोगों को एसपी साहेब मिलेंगे। ग्रामीण वहां पहुंचे तो एसपी दफ्तर में नहीं मिले।   

इसके बाद ग्रामीण मानिकपुर विधायक आरके सिंह पटेल से मिलने उनके घर गए लेकिन वे घर पर नहीं मिले। बाद में सभी सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा से जाकर मिले और उन्हें आपबीती सुनाई। उन्होंने सभी गांव वालों को एसपी कार्यालय पहुंचने को कहा और बोले मैं भी आ रहा हूं।  

थोड़ी ही देर में सांसद समेत सभी वहां पहुंच गए। सांसद भैरो प्रसाद मिश्र ने एसपी से इस मामले में बातचीत की। इसे लेकर एसपी और सांसद के बीच थोड़ी नौंक-झौंक भी हो गई। बाद में एसपी को जब घायल महिला प्रधान चुन्नीदेवी को दिखाया गया तो उन्होंने जांच के लिए कहा।

एसपी ने फौरन मानिकपुर थानाध्यक्ष अजय यादव को संस्पेंड कर दिया और सीओ मऊ भानू प्रकाश को भी वहां से हटा दिया। एसपी ने महिला प्रधान की दवा दारू कराने के लिए कह दिया है। फिलहाल जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि मामले में सच क्या है।

 
 
Back to top button