खुफिया एजेंसियों का बड़ा खुलासा: दिसंबर 2018 तक जैश के 21 सदस्य कश्मीर में कर चुके थे घुसपैठ
पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का 21 सदस्यों वाला दस्ता जिसमें तीन आत्मघाती हमलावर भी शामिल है वह दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कर चुका है। यह दस्ता तीन तीन आत्मघाती हमले करने के लिए आया था जिसमें दो घाटी के बाहर शामिल हैं। यह बातें उच्च पदस्थ सुरक्षा एजेंसियों ने कहीं।
सूत्रों का कहना है कि जेईएम के मुखिया मसूद अजहर के भतीजे मोहम्मद उमेर ने कामरान के साथ उस दस्ते का नेतृत्व किया था। जिसे कि सोमवार को हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। उन्हें अजहर के दूसरे भतीजे उस्मान हैदर की मौत का बदला लेने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसे अक्तूबर में सुरक्षाबलों ने मार दिया था। इसके अलावा अफजल गुरु की फांसी का बदला लेने को भी कहा गया था। अफजल गुरु को 2001 में संसद में पर हुए हमले का दोषी पाए जाने के बाद फांसी दी गई थी।
5 फरवरी को एक सार्वजनिक संबोधन में अजहर के छोटे बेटे रौफ अजगर ने मोदी सरकार को भारत में आत्मघाती हमले करने की चेतावनी दी थी। पाकिस्तान के कैमरे पर उसने कहा था कि यदि भारत सरकार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आगे बढ़ेगी तो आत्मघाती हमले किए जाएंगे। उच्च प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस इस विशेष दस्ते को दो समूहों में खुद को बांटना था। जिसमें से एक का नेतृत्व मुदस्सिर खान को तो दूसरे की जिम्मेदारी शहीद बाबा को सौंपी गई थी। हालांकि बाबा को सुरक्षाबलों ने पुलवामा के द्रुवगाम में 1 फरवरी को मार गिराया था।
सूत्रों का कहना है कि तीन आत्मघाती हमलावरों में से एक आदिल अहमद डार जो एक स्थानीय कश्मीरी था उसे 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं अन्य दो को जम्मू और दूसरी जगह की जिम्मेदारी दी गई है। स्थानीय जेईएम और लश्कर-ए-तैयबा के ज्ञात अभ्यास को ध्यान में रखते हुए आत्मघाती मिशन के लिए आतंकियों का चुनाव चिट पर उर्दू में उनका नाम लिखकर किया गया। जम्मू-कश्मीर के उच्च पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जेईएम की भर्ती करने वाले और स्थानीय आतंकियों के बीच शुरुआती बैठक त्राल में हुई थी।