कौमी एकता दल से क्यों ख़फा हैं मंत्रीजी

लखनऊ : एक दिन पहले ही उतर प्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय हुआ और अगले ही दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इससे खफा हो गए है। इसका असर मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम सिंह पर पड़ी और उऩ्हें कैबिनेट मंत्री के पद से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

कौमी एकता दल से क्यों ख़फा हैं मंत्रीजी

कौमी एकता दल और सपा का विलय है वजह

अखिलेश सरकार ने बिना वजह बताए उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया है। जौनपुर के ए कार्यक्रम में पहुंचे अखिलेश ने कहा कि यदि सपा ठीक से काम करें तो किसी और पार्टी की जरुरत नहीं है। एक ओर जहां कार्यकर्ता इस विलय की खुशी मना रहे थे, वहीं विलय के कुछ ही घंटो बाद यह कदम उठाकर अखिलेश ने खलबली मचा दी।

हांला कि अखिलेश सरकार मंत्रीजी की बर्खास्तगी के पीछे कई कारण बता रहे है, लेकिन मुख्य कारण विलय ही माना जा रहा है। एक ओर लखनऊ में कौमी एकता दल के विलय की घोषणा हो रही थी, तो दूसरी अखिलेश जौनपुर में कह रहे थे कि सपा को किसी की जरुरत नहीं है, वो अपने बूते पर जीतेगी।

इसके बाद जौनपुर से लौटते ही बलराम सिंह की पार्टी से छुट्टी कर दी गई। हांला कि इस बात की चर्चा पार्टी में पहले से हो रही थी कि बलराम सिंह को हटाकर उनके बेटे संग्राम सिंह को राज्य मंत्री बनाया जाएगा। सीएम पहले भी अपने कई मंत्रियों को बाहर कर चुके हैं।

अप्रैल 2013 में तत्कालीन खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री राजाराम पांडे को बर्खास्त किया था। उन पर महिला आईएएस अधिकारी पर अशोभनीय टिप्पणी करने का इल्जाम था। मार्च 2014 में मनोज पारस और आनंद सिंह मंत्री पद से हटाए गए। अक्टूबर 2015 में भी अखिलेश ने 8 मंत्रियों को बर्खास्त किया था।

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