कोहरे की मार से उबर नहीं पा रहा रेलवे, साढ़े तीन हजार ट्रेनें रद्द

दिल्ली में भले ही धूप खिलने लगी हो लेकिन उत्तर भारत के कुछ इलाकों में अभी कोहरा पड़ रहा है। इसके चलते ट्रेनों का सिस्टम बुरी तरह से गड़बड़ा रहा है। नतीजतन अभी भी रेलवे की लगभग 30 फीसदी ट्रेनें अपने तय वक्त पर नहीं चल पा रही हैं। कोहरे के कारण रेलवे लगभग साढ़े तीन हजार ट्रेनें रद्द कर चुका है। रेलवे की चिंता यह है कि कोहरे के साथ ही पटरियों की तोड़फोड़ की वजह से भी ट्रेनों को चलाने में बेहद सतर्कता बरती जा रही है। इसका असर भी ट्रेनों पर नजर आ रहा है।कोहरे की मार से उबर नहीं पा रहा रेलवे,इंडियन रेलवे के एक टॉप अफसर के मुताबिक इस बार रेलवे की समस्या इसलिए बढ़ी है, क्योंकि कोहरा नवंबर से शुरू हो गया था और अब तक चल रहा है। हाल के सालों में पहली बार कोहरे का असर इतना लंबा चला है। हालांकि रेलवे ने इस बार प्रयास किया था कि जरूरी होने पर ही कोहरे की वजह से ट्रेनें रद्द की जाएंगी लेकिन इसके बावजूद अब तक रद्द होने वाली ट्रेनों का आंकड़ा साढ़े तीन हजार तक पहुंच गया है। इसके बावजूद रेलवे पंक्चुएलिटी सुधर नहीं पा रही है।

रेलवे अफसरों का कहना है कि पिछले साल रेलवे ने पैसेंजरों को ऐन मौके पर होने वाली परेशानी से बचाने के लिए पहले ही ट्रेनों को रद्द करने का ऐलान कर दिया था लेकिन पिछली बार हुआ उलटा और कोहरे ने ज्यादा असर दिखाया ही नहीं। जिसकी वजह से बाद में खुद ही रेलवे को अपनी रद्द ट्रेनों को चलाना पड़ा। इस बार रेलवे ने तय किया था कि कोहरा की वजह से जरूरी होने पर ही ट्रेनें रद्द की जाएंगी लेकिन कोहरे ने नवंबर से ही असर दिखाना शुरू कर दिया और अभी भी कुछ क्षेत्रों में कोहरे का असर चल रहा है।

रेलवे सूत्रों का कहना है कि इससे गड़बड़ी यह भी हो रही है कि पूरे रेलवे सिस्टम की पंक्चुएलिटी यानी समय पर ट्रेन के चलने और पहुंचने का रिकॉर्ड प्रभावित हो रहा है। फरवरी में भी यह लगभग 65 फीसदी है यानी की ट्रेनों में से 65 फीसदी सही वक्त पर चल रही हैं।

तोड़फोड़ से भी चिंता

रेलवे सूत्रों का कहना है कि इस बार कोहरे के साथ सबसे बड़ी दिक्कत तोड़फोड़ की आशंका भी है। कानपुर के दो रेल हादसों के बादर कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे आशंका है कि कुछ तत्व रेल पटरियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे रेल हादसों का खतरा बढ़ गया है। खतरों को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों को चलाने में सतर्कता बरती जा रही है। इसका असर ट्रेनों की स्पीड पर पड़ रहा है।

रेलवे सूत्रों के मुताबिक आमतौर पर रेलवे की पंक्चुएलिटी 80 से 90 फीसदी तक सोची जाती है लेकिन इन दोनों कारणों का असर ट्रेनों की स्पीड पर पड़ रहा है और इससे पंचुएलिटी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

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