कोर्ट में गंदगी से होता है मौलिक अधिकारों का हनन, उपलब्ध कराई जाएगी बेसिक सुविधाएं

मुंबई. कोर्ट परिसर व भीतर अस्वच्छता व गंदगी होना लोगों के मौलिक अधिकार का हनन है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोर्ट में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के मुद्दे को लेकर दायर याचिका पर दिए गए फैसले में यह साफ किया है। इस विषय पर मुंबई ग्राहक पंचायत व अन्य लोगों ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
कोर्ट में गंदगी से होता है मौलिक अधिकारों का हनन, उपलब्ध कराई जाएगी बेसिक सुविधाएं
 
– जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एए सैय्यद की बेंच ने कहा कि सभी कोर्ट व ट्रिब्युनल (न्यायाधिकरण) को आवश्यक व अत्याधुनिक आधारभूत ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करना सरकार का वैधानिक दायित्व है। यदि कोर्ट परिसर में नागरिकों को गंदगी व अस्वच्छता का सामना करना पड़ता है तो यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने साफ-सफाई के लिए वर्करों की आउटसोर्सिंग के मुद्दे पर भी पुनर्विचार करने को कहा है।

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– बेंच ने कहा कि गवर्मेंट को हर संभव कदम उठाने चाहिए जो कोर्ट के कामकाज के लिए जरूरी है। बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रिब्युनल को कोर्ट के समान सुविधाएं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने गवर्मेंट को 14 वें आयोग में कोर्ट को जरूरी सुविधाएं प्रदान करने के लिए मंजूर किये गये फंड को जल्द से जल्द जारी करने को कहा है। साथ ही गवर्मेंट जूडिसियल कामकाज के लिए जरूरी अधिकारियों के पदों को भी जल्द से जल्द मंजूरी प्रदान करे ताकि न्यायपालिका अपना काम प्रभावी तरीके से काम कर सके।
 
कोर्ट के ढांचों का हो ऑडिट-
कोर्ट की सुरक्षा को लेकर भी गवर्मेंट जरूरी कदम उठाए। मेंच ने कहा कि समय-समय पर कोर्ट के ढांचों का ऑडिट किया जाना चाहिए। ऐसा ही ऑडिट कोर्ट्स की बिल्डींग को आग से सेक्युरिटी प्रदान करने के लिए भी होना चाहिए। बेंच ने फैसले में गवर्मेंट को कोर्ट परिसर में बोरवेल करने का भी सुझाव दिया है।
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