कोरोना ने बदला अपना रूप, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता…

दुनियाभर में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे वैज्ञानिकों की एक सबसे बड़ी चिंता रही है कि कोरोना वायरस अपना रूप बदल रहा है. इसी वजह से वैज्ञानिक इस चीज को मॉनिटर करने में जुटे हैं कि SARS-CoV-2 में किस तरह का आनुवांशिक (Genetic) बदलाव हो रहा है. अब इसके बारे में एक अच्छी खबर आई है.

npr.org में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस में बदलाव तो हो रहा है, लेकिन अब तक जो जानकारी मिली है उसके आधार पर कहा जा सकता है कि ये बदलाव इतना अधिक नहीं है कि वैक्सीन बेकार हो जाए. स्विट्जरलैंड के बसेल यूनिवर्सिटी में महामारी मामलों की जानकार एम्मा हॉडक्रॉफ्ट कहती हैं- कोरोना वायरस में जो भी म्यूटेशन हो रहा है या जिस स्पीड से हो रहा है, इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है.

जॉन्स हॉपकिन्स अप्लाइड फिजिक्स लैब के सीनियर साइंटिस्ट पीटर थीलेन कहते हैं- आज की तारीख तक, बहुत कम म्यूटेशंस मिले हैं. अब तक हमने जो देखा है, संभवत: उसका वायरस के काम करने के तरीके पर कोई असर नहीं होता. थीलेन  ने कहा कि आज कोरोना वायरस के 47 हजार Genomes इंटरनेशनल डेटाबेस में स्टोर किए गए हैं. Genomes की स्टडी से ये पता चलता है कि वायरस में किस प्रकार का बदलाव हो रहा है.

साइंटिस्ट पीटर थीलेन कहते हैं कि जब भी दुनिया के किसी हिस्से से कोई वैज्ञानिक इंटरनेशनल डेटाबेस में नया Genomes डालते हैं तो उसकी स्टडी की जाती है. उन्होंने कहा कि उल्लेखनीय बात ये है कि आज जो भी वायरस फैल रहे हैं, वे चीन में मिले पहले वायरस की तरह ही हैं. पीटर थीलेन कहते हैं कि जनवरी में कोरोना के लिए जिस तरह की वैक्सीन डेवलप की जाती, आज भी उसी तरह की वैक्सीन तैयार करने की कोशिश की जा रही है.

एम्मा हॉडक्रॉफ्ट कहती हैं कि फिलहाल हमें कोई वैक्सीन मिल सकती है. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या वैक्सीन एक बार देना होगा या फिर हर कुछ साल के बाद वैक्सीन को अपडेट करने की जरूरत होगी? हॉडक्रॉफ्ट की मानें तो इस सवाल का जवाब अभी अनिश्चित है, क्योंकि SARS-CoV-2 अभी काफी नया है. समय बीतने के साथ ही इसका पता चलेगा.

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