कोई भी जो मुझे प्यार से खिला दें ,वो मेरा फेवरेट खाना है : संजीव कपूर

‘मास्टर शेफ इंडिया’ के बारे में आप क्या कहेंगे?
दुनिया में खाने के शोज में ‘मास्टर शेफ’ शो की सबसे बड़ी फ्रेंचाइजी है। भारत में इसकी फ्रेंचाइजी बहुत बड़े लेवल पर है। घरों में जो खाना बनाने वाले लोग हैं जो एक्सपर्ट नहीं है उनमें ऐसे लोगों को निकालना जो बेस्ट खाना बनाते हैं मास्टर शेफ की खासियत है।

इस शो का मकसद क्या है?
दरअसल, घर में जो खाना बनता है उसका सेलिब्रेशन नहीं हो पाता। पूरी जिंदगी निकल जाती है लेकिन घर के खाने के स्वाद के बाद में लोग ठीक से वाकिफ नहीं हो पाते। हर चीज में टैलेंट बहुत ज्यादा होता है। लोग पेटिंग, डांसिंग सब करते हैं। लेकिन जो लोग खाना बहुत अच्छा बनाते हैं उनके टैलेंट कोई नहीं देख पाता, उनके टैलेंट को कोई खास महत्व नहीं मिल पाता। ऐसे लोगों के टैलेंट को दुनिया के सामने लाना ही हमारा मकसद है। ‘मास्टर शेफ’ ऐसा शो है जो लोगों की कुकिंग की पॉवर को सामने लाकर उनकी जिंदगी बदल रहा है।

इसके ऑडीशन कहां-कहां हो चुके हैं?
पूरे हिंदुस्तान में ऑडीशंस चल रहे हैं। दिल्ली, पूना, पटियाला, लखनऊ, कानपूर कितनी ही जगहों पर इस शो के लिए ऑडीशन हो चुके हैं अभी मुंबई में भी इसके ऑडीशन होने हैं।

‘मास्टर शेफ इंडिया’ के 2 सीजन जा चुके हैं, तीसरे में पहली बार आप नजर आएंगे, तो इस बार क्या खास होने वाला है इस शो में?
(हंसते हुए) धमाका होगा। देखिए, खाना तो हिंदुस्तान के हर घर में बनता है। लेकिन हम अपने शो में जो खाना बनवाएंगे उसमें देसी तड़का खासतौर पर लगेगा।

कुछ चीजें ऐसी होती है जिसमें बात हवा में होती है और हवा में ही निकल जाती है। लेकिन हमारे शो में ऐसा नहीं होगा। इस बार ‘मास्टर शेफ इंडिया सीजन 3’ में आपको खाने में भरपूर देसी तड़का मिलेगा। खाने में हिंदुस्तान का दिल कैसे धड़कता है उसे आप देख पाएंगे।

आप लोग कंटेस्टेंट में क्या चीज देंखेंगे?
हम लोग बेस्ट चुनेंगे। अब दाल तो सभी बनाते हैं लेकिन किसी-किसी के हाथ की दाल में बात ही कुछ और होती है। ऐसा नहीं कि दाल को चॉकलेट में बनाओगे तो ही स्वादिष्ट होगी, दाल में आपको कोई हीरे-मोती नहीं डालने। दाल के भाव क्या है, बनाने वाले का मन क्या है। कॉम्पटीशन है तो उसमें बेस्ट देखना हमारा काम होगा। हालांकि ये आसान काम नहीं है, लेकिन जो लोग घरों में खाना बनाते हैं, उस खाने में बेस्ट कौन सा है हम उसका चुनाव करेंगे।

निर्णय के दौरान आप किन बातों का खास ध्यान रखेंगे?
कभी भी कोई कॉन्टेस्ट होता है उसमें एक्सीलेंस का पूरा पैकेज होता है। ऐसे में जजमेंट ऑवरऑल होता है। आप कितना जल्दी खाना बना रहे हैं। आपके खाने में यूनिकनेस क्या है, क्या अलग है, क्रिएटिविटी क्या है। कितना हेल्दी है आपका खाना। बाकियों की तुलना में आपके फूड का स्वाद कैसा है। सभी पैरामीटर्स में जज किया जाता है। कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जो ना दिखती हैं, ना सुनाई देती हैं, ना दिखाई देती हैं, वो खाने का भाव बदलती हैं। ये सभी कुछ जजमेंट के दौरान ध्यान रखा जाता है।

कंटेट के हिसाब से इस बार थीम कैसे अलग होगी ‘सीजन 3’ में?
इस बार के शो में पहले की तरह थीम तो अलग-अलग रहेंगी ही। लेकिन साथ में हिंदुस्तान के ट्रेडिशन क्या रहे हैं, हमारे अतीत में कैसे खाना बनता था। राजा-महाराजाओं के समय में जो चीजें बहुत पॉपुलर थी और लोग उसे भूल गए हैं। इस पर बहुत रिसर्च भी किया गया है। इस बार मास्टर शेफ में ये भी विचार है कि हमारे टेड्रिशन को कुछ लोग भूल गए हैं, उन्हें वापिस लाएंगे और लोगों को जगाएंगे।

आप ये सब कैसे करेंगे?
पहले तो हम उस चीज की पहचान बताएंगे कि आखिर वो चीज क्या हैं। जब आपको उस बारे में पता ही नहीं होगा तो फिर आप बाजार में क्या ढूढ़ने जाएंगे। आपको खुशबू, स्वाद के बारे में नहीं पता होगा, नाम का नहीं पता। ‘कबाब चीनी’ कबाब है या चीनी। छोटी-छोटी चीजों का हमारे यहां बहुत महत्व होता है लेकिन लोग उसे भूल जाते हैं। मेथी, करेला, पत्तिया, नमक कितनी ही चीजें वैराइटी में मिलती हैं। ‘मास्टर शेफ’ में आपको इस बार बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा।

अकसर देखा गया है ऐसे शोज में ड्रामा, इमोशंस जैसी चीजें भी होती है तो क्या इस शो में भी ये सब देखने को मिलेगा?
इमोशनल ड्रामे का मतलब ये नहीं कि कोई ड्रामा क्रियेट करना है। आपने कोई चीज ऐसी चखी कि आपको किसी ऐसे के खाने का स्वाद आ गया जिससे आप सालों से नहीं मिलें और आपके आंखों में आंसू आ गए तो आप उसे ड्रामा नहीं कह सकते। ये सच्चाई है।

खाना बनाने का काम महिलाओं का माना जाता है लेकिन जब मास्टर शेफ की बात आती है तो पुरूषों की छवि सामने आती है, ऐसा क्यों?
वो इसीलिए क्योंकि होटलों में ज्यादातर पुरूष खाना बनाते हैं। हालांकि घरों में महिलाएं खाना बहुत अच्छा बनाती हैं। लेकिन अब ग्लोबलाइजेशन के कारण ये भेदभाव भी खत्म हो गया है। कि कौन खाना बनाएगा, कौन गाड़ी चलाएगा। अब ऐसा कुछ नहीं रहा। आज जैसे पुरूष खाना बनाते हैं वैसे ही महिलाएं भी खाना बनाती हैं। अब होटल में भी महिलाएं खाना बनाती हैं। सालों से पुरूष बाहर खाना बनाते रहे हैं और घर में महिलाएं पूरी जिम्मेदारी संभालती हैं, इसीलिए अचानक शेफ नाम आते ही पुरूषों की छवि उभरती है।

क्या आपको लगता है जो शेफ बाहर खाना बनाते हैं वो घर आकर भी खाना बनाते होंगे?
मैं तो बनाता हूं, बाकियों का मैं नहीं कह सकता।

आपका फेवरेट फूड क्या है?
कोई भी जो मुझे प्यार से खिला दें। वो मेरा फेवरेट खाना है।

और आपका सबसे ज्यादा कुकिंग में क्या पसंद हैं?
ये तो इस बात पर डिपेंड करता है कि मैं खाना किसके लिए बना रहा हूं। मुझे अगर पता है कि आप अमृतसर से हैं तो मैं आपके हिसाब से खाना बनाउंगा, लेकिन उसी में मैं आपको थोड़ा सा सरप्राइज करने की कोशिश करूंगा। आप वेज या नॉवेज पसंद करते हैं, सीजन कैसा है, ये सब भी खाना बनाने के दौरान ध्यान रखना पड़ता है। आप ही की जानी-पहचानी डिश को अपने स्टाइल में नई तरह से प्रजेंट कर आपको सरप्राइज करना मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा।

इंटरनेशनल कुकिंग के बारे में आप क्या कहेंगे?
खाना कहीं का भी हो, बनाने का अंदाज होना चाहिए। लेकिन भारत का जो फूड है उसमें जो रिचनैस है, जो ट्रेडिशन है, हैरिटेज है वो इतना बढ़िया और लाजवाब है उससे कोई दूसरा खाना कंपेयर करना मुश्किल है। हमारे यहां खाने में एक ही चीज में 10-15 स्पाइसी चीजें डालते हैं जबकि बाकियों में कोई एकाध मसाला ही डलता है। हमारी खाने का कहीं कोई कंपेयर नहीं है।

मेट्रोज सिटीज में घर के खाने से ज्यादा जंकफूड पसंद किया जाता है, जबकि आपके शो में देसी तड़का लगेगा, क्या मास्टर शेफ लोगों को घर के खाने की ओर मोड़ेगा?
जी हां, इसकी शुरूआत मास्टर शेफ पहले ही कर चुका है। मेरा मानना है कि अगर हिंदुस्तान को हेल्दी रहना है तो घर के खाने को प्राथमिकता देनी होगी। घर में ज्यादा खाना बनाना और खाना पड़ेगा। बच्चों को भी जंकफूड घर में बनाकर खिलाना चाहिए क्योंकि जंकफूड जब बाहर बनता है तभी वो जंक हो जाता है। घर में आप कुछ भी बनाएं उसे अपने तरीके से आप हेल्दी बना सकते हैं ।

क्या अच्छा खाना बनाना गॉड गिफ्टिड होता है या ऐसा नहीं है?
देखिए, गॉड गिफ्ट सबके पास होता है। उसको सही तरह से आप कैसे इस्तेमाल कर पाते हैं, ये डिपेंड करता है आप पर। गले में सबके पास सुर होता है। अगर आपको अच्छा सिंगर बनना है तो आपको गले का नहीं कान का गाना आना चाहिए यानी आपने रियास कर लिया, अच्छा गा लिया लेकिन आपको ज्ञान नहीं है, आप सुन नहीं सकते तो आप अच्छा गा नहीं सकते। क्योंकि आपको पता ही नहीं है कि सही क्या है। कुछ लोग श और स में अंतर नहीं कर पाते। गॉड गिफ्ट सबके पास है लेकिन उसे तराशना जरूरी है।

ऐसा माना जाता है कि मां के हाथ का स्वाद कहीं और नहीं आ सकता, ऐसा क्यों?
देखिए, मां खाने को सच्चे भाव के साथ और पॉजिटिव एनर्जी के साथ बनाती है। बाकी जो होटल्स में खाना बनता है वो लोग सिर्फ खाना बनाते हैं उन्हें पता ही नहीं होता कि खाना बना किसके लिए रहे हैं। इसके अलावा आप मां के खाने के भावों को किसी ओर चीज या किसी और खाने से कंपेयर नहीं कर सकते।

लोग कहते हैं कि दिल का रास्ता पेट से होकर गुजरता है, क्या आप इस बात पर विश्वास करते हैं?
बिल्कुल करता हूं। 100 पर्सेंट करता हूं। मैं तो इस फॉर्मूले को रोज इस्तेमाल करता हूं।

महिलाएं हमारे यहां बहुत अच्छा खाना बनाती हैं लेकिन होटल में पुरूष शेफ होते हैं तो आपको क्या लगता है महिलाएं कहां पीछे रह जाती हैं?
(हंसते हुए) क्योंकि, औरतें बहुत स्मार्ट होती हैं वो चीजों को मैनेज करना जानती हैं। होटल में काम गधों का होता है जो कि आदमी करते हैं।

अगर आप शेफ नहीं होते तो क्या होते?
अगर मैं शेफ नहीं होता तो पता नहीं क्या होता। 

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