सब कुछ अच्छा चल रहा था, जानें फिर कैसे पूरी तरह कंगाल हो गया एयर इंडिया

वित्तीय संकट में फंसी एयर इंडिया में सरकार ने सौ प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की सूचना दी। सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस में अपनी सौ प्रतिशत हिस्सेदारी और ज्वाइंट वेंचर एयर इंडिया सैट्स में पचास प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी। बोली लगाने की अंतिम तिथि 17 मार्च है। बोली के लिए सरकार ने सब्सिडियरी कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयरपोर्ट सर्विस कंपनी को भी आमंत्रित किया है।

ऋण और देनदारियों का भी स्थानांतरण

एयर इंडिया के लिए चुने गए खरीदार को 32,447 करोड़ रुपये का ऋण व देनदारियां भी स्थानांतरित की जाएंगी, जबकि 56,334 करोड़ रुपये का ऋण, देनदारियां और कॉरपोरेट गांरटी विशेष उद्देश्य से बनाई गई कंपनी एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआइएएचएल) को स्थानांतरित की जाएंगी। विनिवेश प्रक्रिया पूरी होने तक यदि एयर इंडिया पर ऋण या देनदारी बढ़ती है तो अतिरिक्त बोझ एआइएएचएल को वहन करना होगा।

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कर्मचारियों का पूरा ध्यान

नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार कर्मचारी पूरी प्रक्रिया से प्रभावित नहीं होंगे। स्थायी कर्मचारियों को तीन प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाएगी। एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 17 हजार कर्मचारी हैं जिनमें नौ हजार से अधिक स्थायी हैं। कर्मचारियों के मद में एयरलाइन की देनदारी 1,300 करोड़ रुपये से कुछ अधिक है। मुख्य देनदारी सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को देय राशि की है। यह राशि सरकार द्वारा दी जाएगी। स्थायी कर्मचारियों में 36 प्रतिशत अगले पांच साल में सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

घाटे का बड़ा कारण यह भी

अधिकारियों की मानें तो पाकिस्तान द्वारा हवाई रूट बंद कर दिए जाने के बाद एयरलाइन को हर दिन 3 से 4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जेआरडी टाटा ने साल 1948 में एयर इंडिया लॉन्च की थी और पांच साल बाद ही भारत सरकार ने नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। साल 2005 में एयर इंडिया ने कुल 111 नए प्लेन खरीदे थे, उस वक्त कंपनी की हालत काफी अच्छी नहीं थी। इस डील के कारण कंपनी पर 70 हजार करोड़ रुपए का बड़ा खर्च

आया था। इसके अतिरिक्त एयर इंडिया के प्लेन को घाटे के साथ बेचा गया।

मिलेगा बना-बनाया बाजार

अगर कोई निवेशक इस कंपनी को खरीदता है तो उसे बना बनाया बाजार मिलेगा। साथ ही उसे घरेलू स्तर पर उड़ान के लिए जरूरतों की पूर्ति भी आसानी से पूरी हो जाएगी। 118 एयरक्राफ्ट के साथ एयर इंडिया का बेड़ा इंडिगो के बाद दूसरे नंबर पर है।

नीति आयोग ने दिया था प्रस्ताव

बीते साल भी सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी, लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण

सरकार ने इसे रोक दिया था। अब सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है।

तो अंतर के बराबर राशि सरकार देगी

दिल्ली और मुंबई में एयर इंडिया की जमीन और इमारतें एआइएएचएल को स्थानांतरित की जाएंगी जिसे बेचकर वह ऋण तथा देनदारियों की पूर्ति करेगी। यदि फिर भी भरपाई नहीं हो सकेगी तो अंतर के बराबर राशि सरकार द्वारा दी जाएगी।

अब शर्तें की आसान

वर्ष 2018                            वर्ष 2020

51 हजार करोड़ का कर्ज       60 हजार करोड़ रुपये का

था, खरीदार को 33,392       कर्ज, खरीदार को 23,286

करोड़ का भार उठाना था       करोड़ की जिम्मेदारी लेनी है

76% शेयर बेचना चाहती थी 100% हिस्सेदारी बेची जाएगी

नेटवर्थ पांच हजार करोड़       नेटवर्थ 3500 करोड़ रुपये

रुपये होना जरूरी                  होने चाहिए

कंसोर्टियम के प्रमुख सदस्य   प्रमुख सदस्य की हिस्सेदारी

की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत,     26 प्रतिशत, जबकि अन्य

अन्य सदस्यों की 20             सदस्यों की 10 प्रतिशत

प्रतिशत आवश्यक                 जरूरी होगी

बोली लगाने वाले को बीते       किसी खास अवधि के लिए

पांच साल में तीन साल           फायदे के मामले में अब ऐसी

फायदे में होना आवश्यक        कोई शर्त नहीं रखी गई है

ये भी जानें

1- टाटा एयरलाइन ने 1932 में यह सर्विस शुरू की थी। 15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की फ्लाइट खुद उड़ाई थी। वह देश के पहले लाइसेंसी पायलट थे। 1946 में इसका नाम बदलकर एयर इंडिया किया गया। 1953 में सरकार ने इसे खरीद लिया था।

2- साल 2000 तक यह मुनाफे में चलती रही। 2001 में कंपनी को 57 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। 2007 में केंद्र सरकार ने एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय किया।

3- दोनों कंपनियों का विलय के वक्त संयुक्त घाटा 770 करोड़ रुपये था, जो बाद में बढ़कर के 7200 करोड़ रुपये हो गया।

4- एयर इंडिया ने घाटे की भरपाई के लिए अपने तीन एयरबस 300 और एक बोइंग 747-300 को 2009 में बेच दिया था।

5-मार्च 2011 में कंपनी का कर्ज बढ़कर 42600 करोड़ रुपये और परिचालन घाटा 22000 करोड़ रुपये का हुआ।

6- इस समय करीब 58 हजार करोड़ के कर्ज में दबी एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

7-इस वित्त वर्ष एयर इंडिया 9,000 करोड़ के कर्ज का भुगतान करने पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी ने सरकार से मदद मांगी है।

8-एयर इंडिया को ज्यादा ऑपरेटिंग कॉस्ट और विदेशी मुद्रा में घाटे के चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

9- एयर इंडिया तेल कंपनियों को ईंधन का बकाया नहीं दे पा रही है।

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