केजीएमयू में खतरनाक फैले फंगस ने मरीजों को ले लिया चपेट में, दवाएं बेअसर-प्रसूता व पुरुष की मौत

 केजीएमयू में खतरनाक फंगस कैंडिडा ऑरिस ने दस्तक दे दी है। यहां के ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट (टीवीयू) में फैले फंगस ने मरीजों को चपेट में ले लिया। कई दिनों तक डॉक्टर अनजान बने रहे। वहीं, मरीजों पर दवाएं बेअसर होने लगीं। ऐसे में माइक्रो बायोलॉजी से जांच कराई गईं। वहीं, पीडि़त प्रसूता व पुरुषकी मौत हो गई।

ट्रॉमा सेंटर की तीसरी मंजिल पर टीवीयू है। इसमें 20 बेड वेंटिलेटर सपोर्टेड हैं। यहां 30 मई को ट्रॉमा सर्जरी विभाग से 45 वर्षीय मरीज शिफ्ट किया गया। यूनिट में इलाज के दरम्यान मरीज की हालत सुधरने के बजाय बिगडऩे लगी। दवाएं बेअसर हो रही थीं। ऐसे में 13 जुलाई को मरीज का ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजा गया। माइक्रोबायोलॉजी विभाग में मरीज के ब्लड में कैंडिडा ऑरिस फंगस की पुष्टि की। मीडिया प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक पुरुष मरीज हेडइंजरी का था। उसमें कैंडिडा ऑरिस फंगस संदिग्ध था। जांच के लिए सैंपल लैब भेजा गया था, इसी दरम्यान उसकी मौत हो गई।

एक केबिन में भर्ती बंद, अन्य मरीजों को खतरा बढ़ा  

20 बेड की यूनिट में तीन केबिन हैं। वहीं संक्रमित मरीज की केबिन में छह मरीज भर्ती थे। सभी का ब्लड जांच के लिए भेजा गया है। इसके बाद केबिन खाली कर दी गई। उसके छह बेडों पर भर्ती बंद कर दी गई। वहीं फंगस पुष्टि के एक मरीज को आइसोलेट कर दिया गया।

प्रोटोकॉल दरकिनार, दांव पर बनी जान 

टीवीयू का स्टाफ आइसीयू के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहा था। एक मरीज को देखने के बाद वह हैंड हाईजीन में लापरवाही बरत रहा था। साथ ही ग्लव्स के इस्तेमाल में भी हीलाहवाली कर रहा था। ऐसे में फंगस एक मरीज से अन्य मरीजों में पहुंच गया है।

अब भेजा स्टाफ को अलर्ट

फंगस की पुष्टि के बाद माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने रिपोर्ट के साथ स्टाफ को सतर्कता बरतने के निर्देश भेजे हैं। वहीं विभागाध्यक्ष डॉ. जीपी सिंह ने स्टाफ को हर मरीज को छूने से पहले हैंडवॉश व ग्लव्स बदलने को कहा है। उन्होंने कहा कि टीवीयू की छह बेड की यूनिट में भर्ती बंद कर दी गई। वहीं शेष 14 बेडों पर मरीज लिए जा रहे हैं।

डॉक्टर, स्टाफ की स्क्रीनिंग शुरू

आइसीयू में फंगस की पुष्टि के बाद डॉक्टर व स्टाफ घबराए हुए हैं।  डॉ. जीपी सिंह के मुताबिक यूनिट के सभी स्टाफ की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार ? 

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि कैंडिडा ऑरिस फंगस आइसीयू में भर्ती कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को चपेट में ले लेता है। इन मरीजों में ड्रग रजिस्टेंस का खतरा बढ़ जाता है। मगर मरीजों की मौत फंगस से नहीं, बल्कि उनकी मूल बीमारी से होती है।

Back to top button