केजरीवाल ने अपने प्रेम को पाने के लिए जो किया वो आज भी प्रेमियों के लिए है मिसाल

आज द‌िल्ली के सीएम केजरीवाल अपना 49वां जन्मद‌िन मना रहे हैं। ऐसे में अगर उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पल की बात की जाए तो वो है उनका प्यार। अपनी पत्नी से उनका प्यार और फ‌िर शादी इसकी बड़ी द‌िलचस्प कहानी है। केजरीवाल की पत्नी सुनीता उनकी ज‌िंदगी के हर फैसले में मजबूती से उनके साथ खड़ी रही हैं और वहीं ज‌िनकी वजह से सीएम ने अपनी आईआरएस की नौकरी छोड़कर अपने मनचाहे काम में समय लगाया।
केजरीवाल ने अपने प्रेम को पाने के लिए जो किया वो आज भी प्रेमियों के लिए है मिसाल
 

केजरीवाल की प्रेम कहानी ऐसी है जो अरसा बीत जाने के बाद भी जिंदादिल है और उन्हें लोग याद करते हैं।

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दरअसल केजरीवाल और सुनीता का प्यार आईआरएस की ट्रेनिंग के दौरान परवान चढ़ा और बाद में शादी तक जा पहुंचा। परिजनों की सहमति के बाद 1994 में अरविंद और सुनीता ने शादी कर ली।
 

केजरीवाल फिलहाल एक बेटी और एक बेटे के बाप हैं। बेटी का नाम हर्षिता और बेटे का नाम पुलकित केजरीवाल है। भारतीय राजस्व सेवा की परीक्षा पास करने के बाद अरविंद और सुनीता नागपुर स्थित राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में पहली बार मिले।
 

धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गई और रोजाना घंटों साथ रहने लगे। लेकिन इसके बावजूद भी अरविंद की कई दिनों तक सुनीता को प्रपोज करने की हिम्मत नहीं हो पाई।
 

आंखों ही आंखों में दोनों के बीच एक समझ जरूर हो गई थी लेकिन इजहार नहीं कर पा रहे थे। प्यार का इजहार करने में दोनों को कई महीने लग गए। केजरीवाल अक्सर बड़ी आत्मीयता के साथ उस दिन को याद करते हैं जब उन्होंने सुनीता के समक्ष अपना प्रेम प्रस्ताव रखा था। वे कहते हैं, “एक दिन अकादमी में मैंने उनके दरवाजे पर दस्तक दी और उनके सामने प्रेम प्रस्ताव रख दिया। उन्होंने कहा, हां।
 

साफ दिल के अरविंद केजरीवाल के साहस और निष्पक्षता ने सुनीता को प्रभावित किया। सुनीता को मानों सपनों का राजकुमार मिल गया, क्योंकि सुनीता का सपना था कि उनका होने वाला पति ईमानदार होने के साथ ही देशसेवा को प्राथमिकता देने वाला हो।
 

दोनों एक ही जाति से थे और राजस्व सेवा में चयनित हो चुके थे इसलिए दोनों के परिवार वालों ने आसानी से इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया। अगस्त, 1994 में दोनों की सगाई हो गई। नवम्बर 1994 में आईआरएस के प्रशिक्षण के दौरान दोनों विवाह बंधन में बंध गए।
 

1995 में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद दोनों दिल्ली चले गए और वहीं बस गए। शादी के एक साल बाद बेटी हर्षिता का जन्म हुआ। 2001 में उनके घर में बेटे का जन्म हुआ, इसका नाम पुलकित रखा गया।
 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत से उत्साहित अरविंद केजरीवाल इस ऐतिहासिक मौके पर अपनी पत्नी सुनीता के योगदान को नहीं भूले और ‘हमेशा साथ निभाने’ के लिए बड़ी आत्मीयता से उन्हें गले लगा लिया था।
 

पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि सुनीता के सतत समर्थन और समझ के बिना यह जीत संभव नहीं होती। उन्होंने कहा, वह कभी सामने नहीं आईं, लेकिन वह हमेशा साथ थीं। यदि वह साथ नहीं होती तो मेरे लिए कुछ भी हासिल करना संभव नहीं होता।
 
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