तो इसलिए कृष्ण के मित्र सुदामा का भगवान शिव ने किया था वध, सच जानकर पैरो तले जमीन खिसक जाएगी

वैसे तो हम सब जानते है की कौन थे भगवान् कृष्ण के सबसे प्रिय मित्र सुदामा और कौन थे भगवान शिव सब की कहानी हम सब ने पढ़ी है देखि है और जाना है इन सब के बारे में हर भगवान् की अपनी एक कहानी है ये तो सब जानते है इस कहानी के कोई पहलु भी है जो भी कुछ लोग नहीं जानते है कुछ ऐसी भी सचई है जिससे हम पूरी तरह से वैकुल है आपको बाता दे की आज हम जो बात करने वाले है वो बात है कृष्ण के सबसे प्रिय मित्र सुदामा जी हां कहा जाता है की इनकी हतिया भगवान शिव ने हाथो हुयी थी कैसे आइये जानते हैकृष्ण के मित्र सुदामा का भगवान शिव

सुदामा का पुनर्जन्म रहस्य क्या है

आपको बाता दे की जब मृत्यु के बाद सुदामा स्वर्ग लोक में रहते थे तो वह पर सुदामा और बिराजा दोनों रहते रहते थे आपको बाता दे की दोनों में बहुत प्यार था आपको बाता दे की बिराजा भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करती थी वो उन्हें बहुत प्यार करती थी आपको बाता दे की जब बिराजा भगवन श्री कृष्ण की पूजा प्रेम में विलीन होकर सो गयी थी तो उसी समय वह पर राधा जी ने प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पृथ्वी लोक पर रहने का श्राप दे दिया था आपको बाता दे की किसी कारणवश सुदामा को भी श्राप देते हुए उन्होंने दोनों को धरती पर जाने का श्राप दे दिया था

आखिर किसने एक गलती के कारण भगवान विष्णु का सर धर से अलग कर दिया था, सच सुनकर होश उड़ जाएगे

सुदामा और विराजा का पुनर्जन्म की बात

 

आपको बाता दे की जब दोनों को श्राप देने के बाद जब वो धरती पर आये और आपको बाता दे की सुदामा का जन्म एक संत चरण नाम के राक्षस के रूप में हुआ था और साथ में बिराजा का जन्म तुलसी माता के रूप में हुआ था आपको बाता दे की इन दोनों का विवहा भी हो चूका था शंख चूर्ण को भगवान ब्रह्मा का एक वरदान भी प्राप्त हुआ वरदान में यहाँ था की उन्हें कोई भी जल्दी से हरा नहीं सकता था और ये हुआ भी था वो किसी से हारे नहीं थे और वो तीनों लोकों का स्वामी बन चुके थे

शंख चूर्ण का अत्याचार का क्या कहना था

 

आपको बाता दे की शंख चूर्ण के अत्याचार का ये कहना था की तीनो लोगो के जो भी लोग थे वो बहुत ज्यादा दुखी हो गए थे और सब परेशान रहते थे और कभी देवता भी इनसे बहुत परेशान थे आपको बाता दे की उस समय भगवान शिव ने सभी देवताओं की प्रार्थना को माना और सब को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का फैसला किया था आपको बाता दे की जब भगवान शिव ने शंख चूर्ण संजय तो वो नहीं मने और शंखचूर्ण को काफी घमंड हो गया था क्योकि उससे वरदान मिला तह की वो युद में कभी भी हर नहीं सकता तो बाद में भगवान शिव ने उसका वध किया ऐसे भगवान शिव ने कृष्ण के मित्र सुदामा शंखचूर्ण का वध किया

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