‘कुछ खास उम्मीदों के सामने फीकी पड़ी 3 लाख की आयकर छूट’

जालंधर (शीतल, वीना): आज देश का बजट घोषित हुआ। जहां साल 2017 का बजट समय से पहले घोषित हुआ वहीं आम बजट और रेल बजट इकट्ठा ही पेश किया गया जिसे देश के कई राजनीतिक दलों ने अनुचित तथा किसी ने उचित करार दिया। विरोधी दलों के अनुसार विधानसभा चुनावों के समय बजट पेश करना शायद वोटरों को लुभाने की चाल थी। वित्त मंत्री अरुण जेतली द्वारा पेश किए बजट संबंधी महानगर वासियों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सुनने को मिली। नोटबंदी के पश्चात पेश हुए इस बजट से लोगों को काफी आशाएं थीं परंतु उन्हें कुछ खास नहीं मिल पाया। ‘कुछ खास उम्मीदों के सामने फीकी पड़ी 3 लाख की आयकर छूट’

‘टैक्स पेयर्स बढ़ाए सरकार’ 

बजट में सरकार ने आम आदमी के लिए आयकर में 3 लाख तक छूट मिलने पर  कुछ राहत जरूर दी है जिससे ब्लैकमनी व जमाखोरी घटेगी। अधिक टैक्स देने वालों को साथ ही 10 प्रतिशत सरचार्ज लगाकर उनकी परेशानी भी बढ़ा दी है। सरकार को चाहिए कि वह टैक्स दर चाहे और घटा दे परंतु उन लोगों को भी टैक्स की कैटेगरी में शामिल करे जो अपनी इंकम पर किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देते, इसके लिए टैक्स ढांचे में अभी भी बदलाव की जरूरत है, ब्लैकमनी के साधन तभी घटेंगे। टैक्स रैशनलाइज किया जाए, इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए मुलभूत सुविधाएं दी जाएं।   —प्राणनाथ चड्ढा (उद्योगपति) 

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‘व्यापारी वर्ग को भी राहत दे सरकार’

सरकार ने सदा ही मध्यम वर्ग व गरीबों के लिए सोचा है, बजट में भी इसी वर्ग को ही राहत दी है। व्यापारियों और उद्योगपतियों को किसी प्रकार की राहत देने की बजाय बड़े व्यापारियों की आय पर 10 प्रतिशत अधिक सरचार्ज लगाकर उन्हेें निरुत्साहित भी किया है। सभी टैक्स अमीरों के लिए और राहतें गरीबों के लिए ही दी गई हैं। सरकार की सभी नीतियां व्यापार विरोधी बन रही हैं। बिजनैसमैन को लोन भी महंगी दर पर मिलता है ऐसे में केन्द्र सरकार को अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए इंडस्ट्री को मजबूत करना सबसे जरूरी है। —शिहान संजय गोकल (खेल प्रमोटर) 

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‘युवाओं के रोजगार के लिए कुछ नहीं’

भाजपा ने जल्दबाजी में चुनावों से पूर्व बजट पेश करके लोगों को लुभाने की कोशिश की है तभी तो गरीबों के आवास, प्रत्येक गांव में बिजली पहुंचाने, टैक्स स्लैब में परिवर्तन की बात करके अपनी पार्टी को सीधा लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है। बजट में युवाओं को रोजगार के अवसर देने के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा तथा न ही आम आदमी की बुनियादी जरूरतों की ओर कोई ध्यान दिया गया है। युवाओं को रोजगार देने की बात तक नहीं की, जबकि रेल विभाग से भारी संख्या में अधिकारी व कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं तथा वह पोस्टें खाली पड़ी हैं।—सुदेश विज (वरिष्ठ इंका नेता) 

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