क्या आप जानते है “किस बदलाव की आहट है ‘चमार रैप”?
धीरे-धीरे एक पूरी पीढ़ी इस बात पर गर्व महसूस करने लगी और जो नाम एक अपमान के तौर पर उनकी तरफ उछाला जाता था, उसकी बाजी उन्होंने पलट दी। हालात ये हैं कि अब बात होती है ‘चमार रैप’ की। और, दलित परिवार में जन्मी 18 साल की गुरकंवल भारती – जो यूट्यूब और फेसबुक पर गिन्नी माही के नाम से अधिक मशहूर हैं, आज चमार रैप क्वीन मानी जाती है।
हुंदे असले तो बध डेंजर चमार (हथियारों से अधिक खतरनाक हैं चमार), गिन्नी का ऐसा वीडियो है जिसे यूट्यूब के अलग-अलग चैनल्स पर लाखों की तादाद में हिट्स मिले हैं। रविदास समुदाय के परिवार से संबंधित गिन्नी का कहना है कि उसे अगर एक दमदार आवाज मिली है तो वह अपनी आवाज से ही लोगों को सामाजिक पिछड़े पन से बाहर निकालने के लिए प्रयास करती रहेगी।
सिर्फ 18 साल की उम्र में गिन्नी राजनीतिक और सामाजिक तौर पर भी काफी जागरूक है और वह अच्छी तरह से जानती है कि बाबासाहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान लिखा और संविधान में दलितों को आरक्षण देकर उनका सामाजिक उत्थान किया।
वह अपने गीतों में भी अपने आप को बाबा साहब की बेटी ही करार देती है। प्लस टू में 77 प्रतिशत अंक लेकर अब गिन्नी कॉलेज में पढ़ाई कर रही है और वह पंजाब और पूरे देश में दलितों के उत्थान के लिए काम करने के साथ ही बॉलीवुड में प्ले बैक सिंगर भी बनना चाहती है।
गर्व से कहो हम चमार हैं, पुत्त चमारा दें, की सोच को पूरे समाज तक पहुंचाने के लिए इस समुदाय के गायकों की एक पूरी पीढ़ी सक्रिय है जो कि चर्चे चमारा दें, डेंजर चमार आदि गीतों से अपने समाज को अपने पर गर्व करने के लिए प्रेरित कर रही है।
पंजाब में जिस तरह से ये जाति अपने आप को अपनी पहचान और गुरु रविदास और बाबा साहब पर गर्व करने के लिए प्रेरित कर रही है, उतना कोई नहीं कर पा रहा। और, ये एक नया तरह का बदलाव है जो कि अब रफ्तार पकड़ रही है।