किसानों की कर्जमाफी जरूरी, उत्पादन के उन्हें नहीं मिलते सही दाम: कमलनाथ

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि किसानों की कर्ज माफ करना कांग्रेस पार्टी की पहली प्राथमिकता है। यदि बैंक व्यावसायियों को मोहलत दे सकते हैं तो किसानों को क्यों नहीं। एक निजी समाचारपत्र को दिए इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस ने सरकार बनाने के 10 दिनों के अंदर कर्जमाफी का वादा किया था। हालांकि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि कर्जमाफी से राज्यों की आर्थिक व्यवस्था के लिए काफी परेशानी खड़ी हो सकती हैं।

इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘यदि रघुराम राजन गांव को समझते हैं तो उन्हें बोलने दीजिए। मैं इन अर्थशास्त्रियों द्वारा अपने कमरों में बोली जाने वाली बातों से विचलित होने वाला नहीं हूं। आज एक किसान कर्ज में जन्म लेता है और उसकी पूरी जिंदगी कर्ज के बोझ तले दबी रहती है। किसानों का कर्जमाफ करना अत्यावश्यक है। इस बात को अपने दिमाग में रखिए कि मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था पैसों से नहीं बल्कि लोगों से गिनी जाती है।’

नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री से पूछा गया कि आप वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय संभाल चुके हैं। इसपर उन्होंने कहा, ‘हां मैं वाणिज्य और उद्योग मंत्री रह चुका हूं और मुझे मालूम है कि अर्थव्यवस्था कैसे चलती है। इस राज्य के 70 प्रतिशत लोगों की जिंदगी खेती पर निर्भर करती है। केवल किसान ही नहीं, ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी की दुकान चलाते हैं और दूसरे खेतों में ट्रैक्टर चलाते हैं। ऐसे भी गरीब लोग हैं जो कृषि क्षेत्र में मजदूरी का काम करते हैं। भोपाल और इंदौर के बाजार में सामान बेचने के लिए कौन आते हैं। दिल्ली में रहने वाले लोग तो नहीं आते। राज्य में कोई बहुत बड़ा उद्योग नहीं है। इस तथ्य को हमें पहचानने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र इन बाजारों को मदद देता है।’

शिवराज सरकार पर हमला करते हुए कमलनाथ ने कहा कि एक विश्लेषण कीजिए कि क्यों पिछले चार सालों से किसानों को पैदावार के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। यहां बहुत सारी परेशानियां हैं। राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ा है। सरकार ने पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि कर्मण अवॉर्ड शुरू किए थे लेकिन कोई खरीद नहीं की। यदि सरकार मंडियों की संख्या बढ़ा देती तो किसानों को अपनी पैदावार की खरीद की उम्मीद में कई दिनों तक लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ता। कांग्रेस सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 550 से बढ़ाकर 1,500 रुपये प्रति क्विंटल किया था। एनडीए ने कितना बढ़ाया? कितने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा मिला?

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