किशोरी के पेट से निकला कुछ ऐसा देखकर डॉक्टर भी हो गये हैरान…

कानपुर के हैलट में सोमवार को 12 साल की निधि के पेट में चीरा लगाकर 20 किलो का ट्यूमर निकाला। सर्जरी के एनओटी पीओपी वार्ड में भर्ती इस किशोरी की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।किशोरी के पेट से निकला कुछ ऐसा देखकर डॉक्टर भी हो गये हैरान...किशोरी के पेट से निकला कुछ ऐसा देखकर डॉक्टर भी हो गये हैरान...मैनपुरी जिले के ग्राम नगला हिम्मत निवासी दंगल सिंह की बेटी कक्षा – छह की छात्रा निधि का पेट कई महीने से धीरे – धीरे फूलता जा रहा था।

दो महीने पहले पेट काफी फूला नजर आने लगा। स्कूल की शिक्षिका ने कुछ गलत होने की आशंका जताते हुए उसके परिजनों को स्कूल बुलाया। बेटी की जांच, इलाज कराने की सलाह दी। मोहल्ले के कुुछ लोग भी निधि को टोकने लगे। निधि के भाई प्रदीप, बहन अनुपम ने बताया कि लगातार पेट फूलने पर उसे मैनपुरी में डॉक्टरों को दिखाया, वहां से सैफई मेडिकल इंस्टीट्यूट भेज दिया। सैफई में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने पेट में गांठ होने की आशंका जताते हुए एसजीपीजीआई, लखनऊ ले जाकर दिखाने की सलाह दी।

परिजन उसे लखनऊ ले जाने के बजाय बीती 24 सितंबर को अपर इंडिया जच्चा – बच्चा अस्पताल लाए। मेडिकल कालेज के स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. किरन पाडेय की यूनिट में इलाज शुरू हुआ। डॉक्टरों ने आपरेशन की बात कही, पर आपरेशन नहीं किया, बल्कि टालमटोल करने लगे। निधि को पहले बेहोशी (एनेस्थीसिया) विभाग और फिर सर्जरी विभाग में आपरेशन के लिए भेजा। 27 सितंबर को हैलट ओपीडी के सर्जरी विभाग में हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या ने निधि का स्वास्थ्य परीक्षण किया।

उसे अपनी यूनिट में भर्ती करने के बाद सोमवार को आपरेशन किया। डॉ. मौर्या ने बताया कि निधि की बच्चेदानी से ट्यूमर जैसा सिस्ट हुआ था, जो लगातार बढ़ता जा रहा था। धीरे – धीरे इसने उसके पूरे पेट को चपेट में ले लिया था और फेफड़ों को दाबने लगा था। इससे उसका पेट फूलने के साथ ही फेफड़े दबने से सांस लेने में तकलीफ, उल्टियां होने लगीं थीं। सर्जरी विभाग के आपरेशन थियेटर में दूरबीन विधि से उसका आपरेशन करने की तैयारी थी, पर ट्यूमर बड़ा होने की वजह से आंतों के फंसाव की आशंका थी।

किशोरी की बच्चादानी और अंडाशय भी बचाना था। इसलिए दूरबीन विधि के बजाय पेट में बीच से चीरा लगाकर ट्यूमर निकाला गया। आपरेशन करीब दो घंटे चला। उसकी बच्चादानी और अंडाशय सहित सभी अंग सुरक्षित हैं। टीम में जेआर-3 डॉ. विशाल, डॉ. निखिल गुप्ता, जेआर-2 डॉ. रौनक आदि शामिल रहे।

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