किन्नरसानी वन्यजीव अभयारण्य है लुप्तप्राय जीव-जंतु और पेड़-पौधों का घर

यह तेलंगाना राज्य के भद्री कोथगुडेम जिले में स्थित है। अभयारण्य खम्मम जिले के पलोनचा शहर से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका नाम किन्नरसानी नदी के नाम पर रखा गया है। यह नदी इस वन्यजीव अभयारण्य (635.40 एकड़ के क्षेत्र में फैले) को बांटते हुए आगे गोदावरी नदी से मिलती है। यह कोथगुडेम से 15 किमी. और भद्राचलम से 25 किमी. दूर है। इतने बड़े भूभाग में फैला यह अभयारण्य बहुत से संकटग्रस्त जीव-जंतुओं की शरणस्थली है। यह अभयारण्य कुछ विदेशी जंगली जीवों का प्राकृतिक निवास स्थान भी है।किन्नरसानी वन्यजीव अभयारण्य है लुप्तप्राय जीव-जंतु और पेड़-पौधों का घर

किन्नरसानी वन्यजीव अभ्यारण्य में पाए जाने वाले जीव-जंतु

अभयारण्य में पाए जाने वाले जीवों में पैंथर्स, चिंकारा, चौइंगहास, सांबर, चीतल, गौर, हिना, जैकाल्स, जंगली सूअर, बाघ, स्लोथ भालू, ब्लैक बक्स आदि हैं। पर्यटक यहां फाउल, पार्टिज, पेफौल, नुक्टास, स्पूनबिल्स, टील्स और कबूतर जैसे कई पक्षियों को भी देख सकते हैं।

रेंगने वाले जंतुओं में मगरमच्छ, मॉनिटर लिजॉर्ड, गिरगिट, पाइथन, कोबरा, क्रेट्स, वाइपर मौजूद हैं। इनके अलावा यहां आप गोल्डेन ओरिओल, किंगफिशर्स, ग्रे जंगल फाउल, डव, टील, पैराकिट्स भी देखने को मिलते हैं।

पेड़-पौधे

किन्नरसानी के घने जंगल में टीक, येगिशा, तीरमान, नालामड्डी, बंदारू, येपी, तापसी, सोमी और आंवला जैसे कई पेड़-पौधे भी मौजूद हैं।

इन एक्टिविटीज का भी लें मजा

अंदर जाकर आप बोटिंग का आनंद भी ले सकते हैं। यहां दो तरह की बोटिंग की व्यवस्था है, जिसमें एक छोटी स्पीडबोट है, जिसमें सिर्फ छह लोग घूम सकते हैं और एक बड़ी बोट या फेरी है, जिसमें 30 से 35 लोग नौका विहार कर सकते हैं।

रोचक इतिहास

हिंदू पुराणों के अनुसार अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम यहां रूके थे। पर्णशाला, रेकापल्ली और दुमुगुडेम से इस बात के प्रमाण भी मिलते हैं।

कब और कैसे पहुंचें?

नवंबर से फरवरी के विंटर सीजन में यहां का मौसम सुहावना होता है। इस दौरान औसत तापमान 20-33 डिग्री तापमान रहता है। पर्यटक इस मौसम में यहां आकर खूब आनंद लेते हैं। हैदराबाद से यह जगह लगभग 320 किमी. और खम्मम से करीब 115 किमी की दूरी पर है। यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन कोठुगुडेम करीब 40 किमी. है। खम्मम और हैदराबाद से यहां आने के लिए बसें चलती हैं। 

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